यदि आप कोई वस्तु अपने लिए शुभ फलदायी बनाना चाहते हैं तो उसे गुरु-पुष्य योग में खरीद लें। वर्ष 2021 का दूसरा गुरु-पुष्य नक्षत्र योग 25 फरवरी 2021, गुरुवार को बन रहा है। इस संयोग को लेकर व्यापारियों में काफी उत्साह रहता है, हालांकि बढ़ते कोरोना के कारण यह उत्साह भी फीका रहने की संभावना है। गुरु-पुष्य का दिन सभी प्रकार की खरीदारी के लिए शुभ है। इस दिन स्वर्ण, चांदी के आभूषण, रत्न, वस्त्र स्थायी संपत्ति जैसे भूमि-भवन वाहन आदि क्रय करना काफी शुभ होता है। गुरु-पुष्य में खरीदी गई सामग्री में स्थायित्व रहता है।
गुरु-पुष्य का शुभ संयोग एवं मुहूर्त- ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र बताए गए हैं और उनमें पुष्य नक्षत्र का अपना विशेष महत्व है। इस बार गुरु-पुष्य योग 24 फरवरी को दोपहर 12.30 बजे से शुरू होकर यह योग गुरुवार, 25 फरवरी को दोपहर 1.18 मिनट तक ही रहेगा। अत: अगर आप गुरुवार को किसी कारणवश गुरु-पुष्य योग में खरीदारी नहीं कर पाएं तो भी आप बुधवार यानी आज दोपहर बाद इस खास योग में खास खरीदारी करके इसका फल प्राप्त कर सकते हैं।
25 फरवरी के दिन ये शुभ मुहूर्त भी रहेंगे विशेष- 25 फरवरी को सुबह 06:55 से दोपहर 01:17 तक अमृतसिद्धि, सर्वार्थसिद्धि एवं गुरु-पुष्य योग का खास संयोग रहेगा।
महत्व- गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र का होना काफी लाभप्रद होता है। इस दिन किए गए कार्यों का उत्तम फल प्राप्त होता है। गुरुवार का पूरा दिन खरीदारी के लिए श्रेष्ठ रहेगा। गुरु-पुष्य का संयोग खरीदारी सहित सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन खरीदी गई वस्तु का स्थायित्व बना रहता है। साथ ही इस दिन श्रीयंत्र, पारद शिवलिंग एवं श्वेतार्क गणपति की साधना विशेष फलदायी होती है।
ज्योतिष शास्त्र क्यों खास माना गया है गुरु-पुष्य नक्षत्र का यह योग- ज्योतिष शास्त्र में ग्रह, नक्षत्र, वार, करण, तिथि, मास आदि अनेक महत्त्वपूर्ण घटक हैं जो अपने प्रभाव व युति के कारण शुभ व अशुभ समय का निर्माण करते हैं। जिसके कारण मानव इच्छित कार्यों में उच्च सफलता प्राप्त करता है। चाहे वह जीवन का कोई भी क्षेत्र हो। गुरुवार के दिन यदि पुष्य नक्षत्र हो वह बहुत ही शुभ होता है। इस दिन व नक्षत्र के योग से गुरु पुष्य योग का निर्माण होता है, जो अत्यंत शुभ व किसी कार्य में शत-प्रतिशत सफलता दिलाने वाला माना गया है।
गुरु ग्रह की विशेषता- 'गुरु' ग्रह ज्ञान व सफलता का प्रतीक है इसलिए इस योग में उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कला, साहित्य, नाट्य, वाद्य या किसी विषय में शोध प्रारंभ करना, शैक्षणिक व आध्यात्मिक गुरु चुनना, तंत्र, मंत्र व दीक्षा लेना, विदेश यात्रा, व्यापार, धार्मिक कार्यों का आयोजन आदि कार्य करना शुभ होता है। किंतु मुहूर्त की सूक्ष्मता पर इसमें विचार किया जाए तो इस दिन बनने वाले योग में भी चंद्रबल, तारा बल, गुरु-शुक्रादि ग्रहों का उदय-अस्त, ग्रहण काल, पितृपक्ष व अधिक मास आदि तथ्यों का भी विचार किया जाता है। इसलिए नूतन गृह निर्माण व प्रवेश तथा विवाह आदि कार्यों में सभी तथ्यों पर विचार कर ही करना लाभकारी रहेगा।
जिन जातकों की कुंडली में गुरु प्रतिकूल है या उच्च का होकर भी प्रभावहीन है अर्थात् अपना फल नहीं दे रहा उन्हें इस अवसर पर पीले रंग की दालें, हल्दी, सोना, आदि वस्तुओं का दान देना चाहिए। इसके अतिरिक्त कोई भी जातक इस दिन अपने कल्याण हेतु व गुरु की अनुकूलता प्राप्त करने के लिए धर्मस्थलों में या गरीबों को विविध प्रकार की खाद्य सामग्री, वस्त्रादि भेंट कर सकते हैं।
दुर्भाग्य व दरिद्रता का नाश करने वाला, मनोवांछित फल देने वाला तथा धार्मिक कार्यों को संपन्न करने वाला, यह गुरु-पुष्य योग अत्यधिक पवित्र एवं शुभ है। इस अवसर पर आप कोई धार्मिक अनुष्ठान जैसे भगवान विष्णु व उनके अवतारों की पूजा-पाठ, हवनादि कर ब्राह्मणों को प्रसन्न कर अपने सौभाग्य में वृद्धि सकते हैं।