हर महीने चंद्रमा की कलाएं घटने और बढ़ने के कारण ही दो पक्ष होते हैं। इसी पक्ष में एक अमावस्या होती है जबकि दूसरी पूर्णिमा। सोमवार के दिन जो अमावस्या होती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं और जो अमावस्या शनिवार के दिन पड़ती है उसे शनि अमावस्या कहते है।
आषाढ़ अमावस्या का महत्व
हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की अमावस्या का विशेष महत्व होता है क्योंकि इस अमावस्या के बाद वर्षा ऋतु आती है। आषाढ़ अमावस्या पर दान और पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है।
बहुत खास है आषाढ़ की अमावस्या
इस आषाढ़ की अमावस्या दो दिनों तक रहेगी। 12 जुलाई को पितृकार्य अमावस्या और 13 जुलाई को आषाढ़ी अमावस्या। शास्त्रों के अनुसार पितृ अमावस्या पर पितरों की शांति के लिए किये गए कार्य शुभ माने जाते हैं। 12 जुलाई को पितृ कार्यों के लिए है और 13 जुलाई को सूर्योदय के समय अमावस्या की तिथि रहेगी।
अमावस्या पर साल का दूसरा सूर्य ग्रहण
इस अमावस्या पर साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भी लगेगा। यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।
आइए जानें आपकी राशि के अनुसार कौन सा दान शुभ है....
मेष- चादर एवं तिल का दान करें तो शीघ्र ही हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
वृषभ- वस्त्र एवं तिल का दान करें तो शुभ रहेगा।
मिथुन- चादर एवं छाते का दान करें तो बहुत लाभदायक सिद्ध होगा।
कर्क- साबूदाना एवं वस्त्र का दान करना शुभ फल प्रदान करने वाला रहेगा।
सिंह- कंबल एवं चादर का दान अपनी क्षमतानुसार करें।
कन्या- तेल तथा उड़द दाल का दान करें।
तुला- रुई, वस्त्र, राई, सूती वस्त्रों के साथ ही चादर आदि का दान करें।
वृश्चिक- खिचड़ी का दान करें साथ ही अपनी क्षमता के अनुसार कंबल का दान भी शुभ फलदायी सिद्ध होगा।
धनु- चने की दाल का दान करें तो विशेष लाभ होने की संभावना बनती है।
मकर- कंबल और पुस्तक का दान करें तो हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
कुंभ- साबुन, वस्त्र, कंघी व अन्न का दान करें।
मीन- साबूदाना,कंबल सूती वस्त्र तथा चादर का दान करें।