हथेली में बुध पर्वत याने कनिष्ठा यानी सबसे छोटी अंगुली से थोड़ा-सा नीचे लगभग उससे सटा हुआ हर्षल क्षेत्र माना गया है। वैसे हर्षल का हमारे प्राचीन ग्रंथों में विवेचन नहीं मिलता। विलियम हर्षल नामक एक वैज्ञानिक ने इसकी खोज की थी। उसी के नाम से हर्षल ग्रह नाम दिया गया है।
हर्षल मानव जीवन को अपने विकिरणीय प्रभाव से आंदोलित रखता है। मानव मस्तिष्क पर इसका विशेष प्रभाव रहता है। इसके प्रभाव से जातक को विज्ञान के आविष्कार में सफलता दिलाता है। यदि हर्षल पूर्ण विकसित हो तो यंत्र संबंधित कार्यों की ओर उन्मुख करता है।
ऐसे जातक मशीनरी के क्षेत्र में, इंजीनियरिंग में सफलता पाते हैं। ऐसे जातक अपने क्षेत्र में प्रसिद्ध होते हैं। यदि किसी की हथेली में हर्षल पर्वत से निकलकर कोई रेखा सूर्य पर्वत पर जाती हो तो वह व्यक्ति प्रसिद्धि पाता है।
हर्षल का झुकाव बुध की ओर हो तो वह व्यक्ति अपनी प्रतिभा का दुरुपयोग करके अपराधी भी बन जाता है। यह चिन्ह हृदय रोग की सूचना भी देता है। हथेली के मध्य भाग में झुका हुआ हर्षल क्षेत्र विलासिता और व्यसनों में लिप्त बनाता है। ऐसे लोगों को पारिवारिक उत्तरदायित्व से दूर कर, पर-नारीगमन, नशे, बुरे कार्य आदि से जोड़ देता है।