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विक्रम संवत : सौरमंडल में कौन हैं राजा, किसे मिला मंत्री का पद

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

* विक्रम संवत 2073 :  नव वर्ष में कैसा होगा देश-दुनिया का हाल 
* संवत 2073 : नववर्ष के राजा शुक्र, अर्थव्यवस्था होगी मजबूत
 

 
 
श्री विक्रम संवत 2073 आरंभ होने जा रहा है। इस वर्ष के राजा शुक्र हैं। 'नवयुग' का तृतीय 'सौम्य' नामक यह नया संवत चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 8 अप्रैल सन् 2016 को है। इस दिन शुक्रवार है अत: शुक्रवार से प्रारंभ होने से आगामी वर्ष का राजा भी शुक्र ही होगा।

7 अप्रैल को इस वर्ष का प्रवेश चैत्र, गुरुवार, रेवती नक्षत्र एवं वैधृति योगकालीन सायं 4 बजकर 54 मिनट पर सिंह लग्न में होगा। शास्त्रानुसार नव संवत का प्रारंभ व राजा का निर्णय चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा के वार के अनुसार किया जाता है। अत: सौम्य नामक नव विक्रम संवत 2073 तथा चैत्र नवरात्र का प्रारंभ 8 अप्रैल, शुक्रवार वैधृति योग में होगा। 

इस नूतन वर्ष के राजा शुक्र तथा मंत्री बुध, शस्येश शनि, धान्येश गुरु, मेघेश मंगल, रसेश का पद सूर्य-चन्द्र को प्राप्त है। जैसे जहां सूर्योदय 6.31 के बाद है वहां रसेश सूर्य होगा- जालंधर, अमृतसर, जम्मू, पश्चिमी राजस्थान आदि क्षेत्रों में,  जहां 6.31 से पूर्व सूर्योदय है, वहां रसेश चन्द्र होगा- चंडीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली तथा संपूर्ण मध्य-पूर्वी भारत में यह पद चन्द्र के पास होगा। निरसेश शनि, फलेश मंगल, धनेश शुक्र, दुर्गेश मंगल होगा।
 

आगे पढ़ें क्या होगा इनका फल... 


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इनका फल इस प्रकार होगा : -

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वर्ष के राजा शुक्र का फल : जब वर्ष का राजा शुक्र होता है, तब धान्य-गेहूं आदि अनाज एवं मौसमी फल-फूल आदि प्रचुर मात्रा में होते हैं। वर्षा उत्तम होने से नदी-नाले पूरे वेग से बहते हैं। मौसमी फल अधिक होंगे। गाय-भैंस आदि चौपायों में वृद्धि होगी। प्रशासक वर्ग सुखी होगा। जनमानस भी सुखी होगा। अश्लीलता में वृद्धि भी होगी।

 
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वर्ष के मंत्री बुध का फल- दांपत्य जीवन सुखी रहेगा। भोग-विलास में अधिक ध्यान होगा। सेक्स स्कैंडल में वृद्धि होगी। अमीर और अधिक अमीर होगा। वर्षा उत्तम न होने से फसलों को नुकसान होगा। गैस व पेट्रोलियम वस्तुओं के भाव में वृद्धि होगी। त्वचा संबंधित रोगों में वृद्धि होगी। व्यापारिक व बुद्धिजीवी वर्ग लाभान्वित होंगे।

 
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शस्येश शनि का फल : ग्रीष्मकालीन फसलों का स्वामी शस्येश जब शनि हो, तब सरकारी तंत्र के सख्त होने व विचित्र नियमों के कारण आमजन दुःखी होंगे। विचित्र रोगों का भय व पीड़ा रहेगी। ग्रीष्मकालीन फसलों को प्राकृतिक प्रकोप से क्षति पहुंचती है, इस कारण मूल्य में वृद्धि होगी। 


 
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धान्येश गुरु का फल : जब धान्येश गुरु हो तब शीतकालीन फसलें गेहूं, जौ, बाजरा, मोठ, मूंग आदि धान्य का उत्पादन अच्छा होता है। उत्तम गुणयुक्त ब्राह्मण आदि धर्मपरायण लोग धार्मिक कार्य में संलग्न होंगे। 

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मेघेश मंगल का फल : जिस वर्ष वर्षा का स्वामी मंगल हो उस वर्ष प्रतिकूल एवं असामयिक वर्षा अर्थात कहीं वर्षा बहुत कम और कहीं अधिक होगी। तापमान में वृद्धि, भूस्खलन, भूकंप की आशंका, कहीं-कहीं पेयजल की कमी रहती है। 

 
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रसेश सूर्य का फल : रसाधिपति का स्वामी सूर्य होने से उपयोगी वर्षा के अभावस्वरूप दूध, रसादि फलों का उत्पादन कम होगा। घी, मक्खन, तेल, खाद्य-तेल वस्त्रादि की कमी से महंगे होते हैं।

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रसेश चन्द्र का फल : पर्याप्त वर्षा होगी। गन्ना, गुड़, दूध, तेल व अन्य रसदार पदार्थ की पैदावार में विशेष वृद्धि होगी। युवक युवतियों के प्रति आकर्षित होंगे।


 
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निरसेश शनि फल- निरसेश अर्थात धातु के स्वामी शनि होने से स्टील, लोहा एवं लौह निर्मित सामान, कोयला, पेट्रोलियम पदार्थ, डीजल, क्रूड ऑइल, मशीनरी, काले एवं ऊनी वस्त्र, उड़द, दालचीनी, कालीमिर्च, गर्म मसाले आदि महंगे होते हैं। 


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फलेश मंगल का फल : फलों के स्वामी मंगल हो तो वृक्षों पर फल-फूल, वनस्पतियों, औषधियों की पैदावार कम होगी। युद्ध भय व टकराव की स्थिति बनती है।


 
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धनेश शुक्र का फल : शुक्र जब धन का स्वामी हो, तो सामान्य वर्ग सरकारी नीतियों का लाभ पाएंगे। जनता का जीवन-स्तर ऊंचा उठेगा। जनता धन-धान्य से संपन्न होगी।

दुर्गेश मंगल का फल : रखवाली अर्थात सेना का स्वामी जब मंगल हो तो सर्वसाधारण जन अनेक प्रकार के कष्टों एवं परेशानियों से दुःखी होंगे। आयात-निर्यात से जुड़े व्यापारियों को विशेष लाभ नहीं रहता। महंगाई बढ़ सकती है।




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