Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
Tuesday, 1 April 2025
webdunia

ज्योतिष से जानिए राम के जीवन में कष्ट क्यों आए?

Advertiesment
हमें फॉलो करें Horoscope study of Lord Rama
webdunia

पं. हेमन्त रिछारिया

रामचरित मानस के कुछ दोहे और चौपाई को आधार बनाकर अक्सर कुछ लोग ज्यो‍तिष शास्त्र पर प्रश्न उठाते हैं। अपने प्रमुख तर्क के रूप में वे इस दोहे का उदाहरण देकर कहते हैं कि-
 
'जोग, लगन, ग्रह, वार, तिथि, सकल भए अनुकूल।
चर अरू अचर हर्षजुत, राम जनम सुख मूल।।'
 
अर्थात जब सभी कुछ अनुकूल था, तो राम के जीवन में कष्ट क्यों आए? यहां हमारा उन सभी महानुभावों से निवेदन है कि इन पंक्तियों को ध्यानपूर्वक पढ़ें, तो पाएंगे कि 'योग, लग्न, ग्रह, वार' का अनुकूल होना प्रभु श्रीराम के परिप्रेक्ष्य में नहीं कहा गया है। वह तो समस्त जड़ और चेतन के परिप्रेक्ष्य में कहा गया है।
 
दूसरी पंक्ति स्पष्ट करती है कि 'चर अरू अचर हर्षजुत, राम जनम सुख मूल' अर्थात समस्त जड़ और चेतन के लिए योग, लग्न, ग्रह, वार सभी कुछ अनुकूल हो जाता है, जब 'राम' का जन्म अर्थात् प्राकट्य होता है। यह एक गूढ़ बात है जिसे ध्यानी प्रवृत्ति वाले आसानी से समझ सकेंगे कि यहां 'राम' से संकेत उस परम तत्व के प्राकट्य से है, जो प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में प्रकट होता है जिसे ज्ञानीजन 'बुद्धत्व' या 'तत्व साक्षात्कार' के रूप में परिभाषित करते हैं।

 
जब वह राम किसी के जीवन में प्रकट होता है, तब उसके लिए जड़ और चेतन सभी कुछ अनुकूल हो जाता है। एक और घटना का उल्लेख कर ज्योतिष पर प्रश्न उठाए जाते हैं कि जब वशिष्ठ जैसे विद्वान गुरु ने राज्याभिषेक का मुहूर्त निकाला था, तब राम को वनवास क्यों हुआ? यहां एक बात ध्यान देने योग्य है कि वशिष्ठजी ने प्रभु श्रीराम के राज्याभिषेक का मुहूर्त निकाला ही नहीं था।
 
जरा इस दोहे पर ध्यान दें-
 
'यह विचार उर आनि नृप सुदिनु सुअवसरु पाइ।
प्रेम पुलकि तन मुदित मन गुरहि सुनायउ जाइ।।'
 
अर्थात राजा दशरथ ने अपने मन में श्रीराम के राज्याभिषेक का विचार कर शुभ दिन और उचित समय पाकर यह वशिष्ठजी को जाकर सुनाया। यहां शुभ दिन और सुअवसर का उल्लेख वशिष्ठजी के पास जाने के समय के परिप्रेक्ष्य में है, न कि श्रीराम के राज्याभिषेक के संबंध में।

 
जब राजा दशरथ वशिष्ठजी से मिलने पहुंचे तब वशिष्ठजी ने उनसे कहा-
 
अब अभिलाषु एकु मन मोरें। पूजिहि नाथ अनुग्रह तोरें।।
मुनि प्रसन्न लखि सहज सनेहू। कहेउ नरेस रजायसु देहू।।
 
अर्थात् राजा का सहज प्रेम देखकर वशिष्ठजी ने उनसे राजाज्ञा देने को कहा। यहां ध्यान देने योग्य बात है कि गुरु अनहोनी का सिर्फ संकेत मात्र तो कर सकता है किंतु राजाज्ञा का उल्लंघन नहीं कर सकता। इसका उदाहरण हमें महाभारत में भी मिलता है, जहां द्रोणाचार्य और कृपाचार्य ने न चाहते हुए भी राजाज्ञा का पालन किया। यहां भी गुरु वशिष्ठ संकेत करते हुए कहते हैं-
 
बेगि बिलंबु करिअ नृप साजिअ सबुइ समाजु।
सुदिन सुमंगलु तबहिं जब रामु होहिं जुबराजु।।
 
अर्थात् शुभ दिन तभी है, जब राज युवराज हो जाएं। यहां वशिष्ठ ने यह नहीं कहा कि राम ही युवराज होंगे। आगे एक और संकेत में कहा गया है-
 
'जौं पांचहि मत लागै नीका। करहु हरषि हियं रामहि टीका।।'
 
अर्थात् यदि पंचों को (आप सबको) यह मत अच्छा लग रहा है, तो राम का राजतिलक कीजिए। इससे स्पष्ट हो रहा है कि वशिष्ठजी सिर्फ राजाज्ञा और जनमत के वशीभूत होकर राज्याभिषेक की सहमति प्रदान कर रहे थे, जन्म पत्रिका एवं पंचांग परीक्षण उपरांत मुहूर्त इत्यादि निकालकर नहीं फिर ज्योतिष को दोष किस प्रकार दिया जा सकता है? आगे ज्योतिष की प्रामाणिकता सिद्ध करते हुए प्रमाण मिलता है। जय मंथरा कैकेयी से कहती है-

 
'पूछेऊं गुनिन्ह रेख तिन्ह खांची। भरत भुआल होहिं यह सांची।'
 
अर्थात् मैंने ज्योतिषियों से पूछा है तो उन्होंने रेखा खींचकर (गणित करके और निश्चयपूर्वक) कहा कि भरत राजा होंगे, यह बात सत्य है। यह सर्वविदित है कि भले ही भरत ने राज्याभिषेक नहीं करवाया किंतु राम के वनवास की अ‍वधि में उनकी अनुपस्थिति में एक राजा के सदृश 14 वर्ष तक राज्य का संचालन किया।

 
ज्योतिष एक अत्यंत गूढ़ और वृहद् विषय है जिसकी प्रामाणिकता के संबंध में अल्प समझ के आधार पर प्रश्नचिह्न नहीं उठाया जा सकता। सदैव निष्कर्ष तर्कों के आधार पर आना चाहिए किंतु दुर्भाग्य से हम निष्कर्ष पहले निकालते हैं और बाद में उसके अनुकूल तर्क खोजते हैं, जो उचित नहीं है, कम से कम ज्योतिष के संबंध में तो बिलकुल भी नहीं।
 
नोट : इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण वेबदुनिया के नहीं हैं और वेबदुनिया इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।

 
-ज्योतिर्विद् पं हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: astropoint_hbd@yahoo.com
 
साभार : ज्योतिष : एक रहस्य

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्या आप भी डरते हैं कालसर्प दोष से : जानिए सच या झूठ..?