Earthquake Prediction: धरती पर 30 से 35 तक की संख्या में रोज 2.3 की तीव्रता वाले भूकंप आते रहते हैं। बीच में कोई 6.5 की तीव्रता वाला भूकंप आता है तब धरती के हिलने का आभास होता है परंतु यदि जब 7.0 से 9.5 की तीव्रता वाला भूकंप आता है तो तबाही मच जाती है। पूराने समय में तो बहुमंजिला इमारतें नहीं होती थी और शहर की आबादी भी बहुत कम हुआ करती थी लेकिन यदि अब कोई इतनी तीव्रता वाला भूकंप आएगा तो सोचो क्या होगा?
दुनिया में आए बड़े भूकंप की लिस्ट:-
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वर्ष 2015 में नेपाल में 7.9 की तीव्रता वाले विनाशकारी भूकंप ने 10,000 से ज्यादा लोगों की जा ले ली थी।
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इससे पहले हेती में 2010 में 7.0 के भूकंप में 3,16,000 लोग मारे गए थे।
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वर्ष 1976 को चीन के तांगशान में 7.5 के भूकंप में 2,42,769 लोग मारे गए थे।
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इंडोनेशिया के सुमात्रा में 9.1 की तीव्रता से आया था जिसमें 2,27,898 मौतें हई थीं।
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चीन के हाईयुआन में 7.8 तीव्रता से आया था जिसमें 2,00,000 लोगों की मौत हुई।
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1923 को जापान के कांतो में आया, जिसकी तीव्रता 7.9 की थी और इसमें 1,42,800 लोगों की मौत हुई थी।
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22 मई 1960 को चिली में भूकंप आया था। उस समय इस भूकंप की तीव्रता 9.5 मापी गई थी।ALSO READ: हिमाचल के चंबा में भूकंप के तेज झटके, रिक्टर स्केल पर 5.3 रही तीव्रता
भारत में आए बड़े भूकंप की लिस्ट:-
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26 जनवरी 2001 में गुजरात में आए भूकंप में 30,000 लोग मारे गए थे और इसमें गुजरात के कई कस्बे पूरी तरह से नष्ट हो गए थे।
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उत्तरी असम में आए 8.5 तीव्रता वाले उस भूकंप ने 11,538 लोगों की जान ले ली थी।
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सन 1897 में शिलांग के पठार में आए एक अन्य भूकंप का परिमाण 8.7 था। ये दोनों भूकंप इतने तेज थे कि नदियों ने अपने रास्ते बदल दिए। इतना ही नहीं भूमि के उभार में स्थाई तौर पर परिवर्तन आ गया और पत्थर ऊपर की ओर उठ गए।
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वर्ष 1905 में हिमाचल के कांगड़ा में आए भूकंप में 20,000 लोगों की मौत हुई थी।
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वर्ष 1993 में लातूर (महाराष्ट्र) में आए भूकंप में 9,000 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
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वर्ष 2005 में पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में भूकंप आया था जिसमें 1,30,000 लोग मारे गए थे।
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वर्ष 1934 में बिहार में आए भूकंप में 30,000 लोगों की जान चली गई थी।ALSO READ: भूकंपों के लिए कैसे हमेशा तैयार रहता है ताइवान
2500 साल पहले बड़े भूकंप ने बदला था गंगा नदी का रूट:-
भूगर्भी गतिविधियों पर शोध करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि 2500 वर्ष पहले एक बड़ा भूकंप आया था जिसके चलते गंगा नदी ने अपना मार्ग बदल दिया था। शोधकर्ताओं ने बांग्लादेश की राजधानी ढाका के पास भू-भाग में इसके जबरदस्त बल के संकेत के आधर पर नीदरलैंड्स की वेगेनिंगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में सोमवार (17 जून 2024) को प्रकाशित एक अध्ययन में अपने निष्कर्षों का खुलासा किया है। वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि आज से 2500 साल पहले आए भूकंप ने गंगा नदी के प्रवाह की दिशा को बदल दिया था। इस भूकंप के सबूत बांग्लादेश की राजधानी ढाका के आसपास मिले हैं। इस भूकंप की तीव्रता 7.5 या 8 के आसपास थी। वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट की मदद से गंगा की पुरानी धारा की भी खोज की है। अध्ययन की मुख्य लेखिका लिज चेम्बरलेन, जो नीदरलैंड में वेगेनिंगन विश्वविद्यालय में भू-कालविज्ञानी और सहायक प्रोफेसर हैं, ने बयान में कहा, "इस बात की पहले पुष्टि नहीं हुई थी कि भूकंप डेल्टा में कटाव को बढ़ावा दे सकता है, खासकर गंगा जैसी विशाल नदी के लिए।"
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बांग्लादेश में गंगा को 'पद्मा' के नाम से जाना जाता है। वहां यह ढाका से करीब 50 किलोमीटर दूर दक्षिण में बहती है। वैज्ञानिकों ने सैटेलाइट इमेजरी से पाया कि कभी यह ढाका से 100 किलोमीटर दूर बहती थी। भूकंप के कारण इसमें बदलावा आया।
भविष्य में आने वाले भूकंप पर क्या कहता है विज्ञान:-
1. वैज्ञानिकों का मानना है कि पूर्वोत्तर भारत में शिलांग मैसिफ पहाड़ों के आसपास एक भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र है, जहां भारतीय टेक्टोनिक प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है। दूसरा बांग्लादेश, म्यांमार और पूर्वोत्तर भारत के नीचे हिंद महासागर की परत का सबडक्शन है। यहां पर फिर से किसी बड़े भूकंप के आने की आशंका बनी हुई है।
2. होलकर विज्ञान महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो. राम श्रीवास्तव वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं कि पृथ्वी पर भूकंप हमेशा आते ही रहते हैं। धरती पर 30 से 35 तक की संख्या में रोज 2.3 की तीव्रता वाले भूकंप आते रहते हैं। प्रो. श्रीवास्तव कोलोराडो यूनिवर्सिटी के रॉजर विलहम एवं सिंगापुर यूनिवर्सिटी के पॉल टपोलियर के हवाले से कहते हैं इन दोनों ने ही हिमालय क्षेत्र में भूकंप को लेकर काफी काम किया है। इससे जुड़ी जानकारी नेचर नामक पत्रिका में भी प्रकाशित हुई है। इन वैज्ञानिकों के मुताबिक 1000 साल में हिमालय की तराई में एक 'मेगा भूकंप' आता है, जो कि अब ड्यू हो गया है। रिक्टर पैमाने पर यह भूकंप 8-9 तीव्रता का हो सकता है। यदि ऐसा हुआ तो गंगा के मैदान में बहुमंजिला मकान जमींदोज हो जाएंगे। इससे काफी नुकसान हो सकता है। प्रोफेसर कहते हैं कि चूंकि भूकंप की भविष्यवाणी नहीं हो सकती, लेकिन समय रहते हमें खतरनाक क्षेत्रों का ऑडिट करना चाहिए कि कोई मकान कितना झटका झेल सकता है। इसके लिए हमें किसी भूकंप का इंतजार नहीं करना चाहिए।
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अन्य भविष्यवक्तों की भविष्वाणी:-
1. वर्तमान के प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु और योग टीचर जग्गी वासुदेव कहते हैं कि धरती इस वक्त महत्वपूर्ण बदलाव से गुजर रही है। इस वक्त सूर्य पर गतिविधियां बढ़ गई है जिसका सभी ग्रहों के साथ ही धरती पर भी हो रहा है। 2023 के मध्य से 2024 के मध्य तक ये गतिविधि अपने चरम पर होगी। इसके कारण युद्ध, विनाशकारी घटनाएं और भूकंप आने की संभावना बड़ जाती है। क्योंकि धरती की मैग्नेटिक शक्ति और धरती के एकदम भीतर की थर्मल शक्तियां, सब कुछ इन सौर ज्वालाओं से प्रभावित होती हैं।
2. ओड़ीसा के संत अच्युतानंद की पुस्तक भविष्य मालिका के अनुसार शनि जब मीन राशि में प्रवेश करेंगे तब भारत पर संकट के बादल छाएंगे। धरती पर हो रहीं प्राकृतिक आपदाओं के कारण धरती पर 7 दिनों तक अंधेरा रहेगा। आसमान में दो सूर्य नजर आएंगे। भविष्य मालिका के आधार पर कहा जा रहा है कि यह घटना 2022 से 2029 के बीच बड़े परिवर्तन का संकेत मिलता है।
3. नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के दावे के अनुसार 2020 से 2025 के बीच कुछ बड़ा होने वाला है। 'महान सितारा 7 दिन तक जलेगा और एक बादल से निकलेंगे दो सूरज, एक बड़ा कुत्ता रोएगा सारी रात और एक महान पोप अपना मुल्क छोड़ देगा।' एक उल्का द्वारा कई प्राचीन अस्तित्व वाले महान राष्ट्र डूब जाएंगे।' (I-69) तबाही के बाद शांति होगी। इस शांति से पहले पूरी दुनिया में 72 घंटे का अंधेरा छा जाएगा। पहाड़ों पर बर्फ गिरेगी और कई देशों के युद्ध शुरू होते ही खत्म हो जाएंगे। ऐसा एक प्राकृतिक घटना के कारण होगा।
4. 2024 के लिए बाबा वेंगा की वायरल भविष्यवाणी अनुसार धरती का मौसम बुरी तरह प्रभावित होगा। जिसके कारण तापमान में भी परिवर्तन होगा जिससे ठंडी जगह गर्म हो जाएगीं और गर्म जगहें ठंडी हो जाएंगी। साल 2024 में ग्लेशियर पिघलने लगेंगे जिससे समुद्र किनारे बसे हुए शहर जलमग्न हो जाएंगे।
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