इस वर्ष कृष्ण-जन्माष्टमी को लेकर संशय की स्थिति बनती जा रही है। इसका मुख्य कारण है अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र का संयुक्त ना होना। 14 अगस्त की मध्यरात्रि को अष्टमी तिथि तो है किन्तु नक्षत्र भरणी है।
सनातन धर्म के व्रत-त्योहारों में तिथियों की मान्यता उस व्रत के अनुसार ही की जाती है। जिन व्रतों में पूजा रात्रि को की जाती है उसमें चन्द्रोदयकालीन तिथि ही मान्य होती हैं जैसे करवा चौथ, गणेश चतुर्थी, जन्माष्टमी आदि एवं जिन व्रतों में दिन में पूजा की जाती है उनमें सूर्योदय कालीन तिथि मान्य होती है।
चूंकि भगवान कृष्ण का प्राकट्य अर्द्धरात्रि को 12 बजे हुआ था अत: अर्द्धरात्रि को 12 बजे जो तिथि होगी वही कृष्णजन्म के लिए मान्य होगी इसलिए इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी 14 अगस्त दिन सोमवार को रहेगी। सभी स्मार्त व्यक्तियों को 14 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी व्रत करना श्रेयस्कर रहेगा। वहीं वैष्णव सम्प्रदाय के लोगों के लिए कृष्ण जन्माष्टमी व्रत 15 अगस्त को रहेगा। संभवत: इस वजह से वैष्णव तीर्थों में कृष्ण जन्माष्टमी 15 अगस्त को मनाई जाएगी। 16 को गोगा नवमी है तथा 13 को हल षष्ठी व्रत है।