इस साल 10 नवंबर और 11 नवंबर को काल भैरव अष्टमी है। यूं तो कालभैरव को खुश करना बेहद आसान है, लेकिन अगर वे रूठ जाएं तो मनाना बहुत मुश्किल। कालभैरव अष्टमी पर प्रस्तुत हैं 7 सरल उपाय जो निश्चित रूप से कालभैरव को प्रसन्न करेंगे।
*रविवार, बुधवार या गुरुवार के दिन एक रोटी लें। इस रोटी पर अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली से तेल में डुबोकर लाइन खींचें। यह रोटी किसी भी दो रंग वाले कुत्ते को खाने को दीजिए। अगर कुत्ता यह रोटी खा लें तो समझिए आपको कालभैरव का आशीर्वाद मिल गया। अगर कुत्ता रोटी सूंघ कर आगे बढ़ जाए तो इस क्रम को जारी रखें, लेकिन सिर्फ हफ्ते के इन्हीं तीन दिनों में (रविवार, बुधवार या गुरुवार) ये उपाय करें। यही तीन दिन कालभैरव के माने गए हैं।
*उड़द के पकौड़े शनिवार की रात को कड़वे तेल में बनाएं और रात भर उन्हें ढंककर रखें। सुबह जल्दी उठकर प्रात: 6-7 के बीच बिना किसी से कुछ बोलें, घर से निकले और रास्ते में मिलने वाले पहले कुत्ते को खिलाएं। याद रखें पकौड़े डालने के बाद कुत्ते को पलट कर ना देखें। यह प्रयोग सिर्फ रविवार के लिए हैं।
*शनिवार के दिन शहर के किसी भी ऐसे कालभैरव जी का मंदिर खोजें, जिन्हें लोगों ने पूजना लगभग छोड़ दिया हो। रविवार की सुबह सिंदूर, तेल, नारियल, पुए और जलेबी लेकर पहुंच जाएं। वहां उनका पूजन करें। बाद में 5 से लेकर 7 साल तक के बटुकों यानी लड़कों को चने-चिरौंजी का प्रसाद बांट दें। साथ लाए जलेबी, नारियल, पुए आदि भी उन्हें बांटें। याद रखिए कि अपूज्य कालभैरव की पूजा से कालभैरव विशेष प्रसन्न होते हैं।
*हर गुरुवार को कुत्ते को गुड़ खिलाएं। रेलवे स्टेशन पर जाकर किसी कोढ़ी, भिखारी को मदिरा की बोतल दान करें। सवा किलो जलेबी बुधवार के दिन कालभैरव को चढ़ाएं और कुत्तों को खिलाएं।
*शनिवार के दिन कड़वे तेल में पापड़, पकौड़े, पुए जैसे विविध पकवान तलें और रविवार को गरीब बस्ती में जाकर बांट दें।
*रविवार या शुक्रवार को किसी भी कालभैरव मंदिर में गुलाब, चंदन और गुगल की खुशबूदार 33 अगरबत्ती जलाएं। पांच नींबू, पांच गुरुवार तक कालभैरव जी को चढ़ाएं।
*सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा 11 रुपए, सवा मीटर काले कपड़े में पोटली बनाकर कालभैरव के मंदिर में बुधवार के दिन चढ़ाएं।