कार्तिक मास को पुण्य मास कहा जाता है। जो फल सामान्य दिनों में एक हजार बार गंगा स्नान का होता है, वही फल कार्तिक माह में सूर्योदय से पूर्व किसी भी नदी में स्नान करने से प्राप्त हो जाता है। कार्तिक मास स्नान की शुरुआत शरद पूर्णिमा से होती है और इसका समापन कार्तिक पूर्णिमा को होता है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन जो भी दान दिया जाता है उसका कई करोड़ों गुना फल प्राप्त होता है। मान्यता है कि इस दिन व्यक्ति जो कुछ दान करता है वह उसके लिए स्वर्ग में सुरक्षित रहता है। पूर्णिमा मां लक्ष्मी को अत्यन्त प्रिय है। इस दिन मां लक्ष्मी की आराधना करने से जीवन में खुशियां और संपन्नता आती है। कार्तिक पूर्णिमा पर गरीबों को चावल दान करने से चन्द्र ग्रह शुभ फल देता है।
इस दिन शिवलिंग पर कच्चा दूध, शहद व गंगाजल अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान, दीप दान, हवन, यज्ञ करने से सांसारिक पापों से मुक्ति मिलती है।
पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने सृष्टि की रक्षा के लिए मत्स्य अवतार धारण किया था।
इस मास में भगवान विष्णु जल के अंदर निवास करते हैं। इसलिए नदियों एवं तलाब में स्नान करने से भगवान विष्णु की पूजा का पुण्य प्राप्त होता है।