अधिकतर लोग कर्ज से दबे हुए हैं। कई लोगों के पास पैसा बचता ही नहीं तो कैसे वह कर्ज को उतारने का सोचें? कई लोगों के पास पैसा होता है लेकिन फिर भी वे कर्ज नहीं उतार पाते हैं। ज्योतिष के अनुसार उचित वार और उचित नक्षत्र में कर्ज नहीं लिया है तो उसका उतरना भी बहुत कठिन हो जाता है। ऐसे में आजमाएं यहां वृक्षों के 5 उपाय।
1. बरगद का उपाय : बरगद के एक पत्ते पर आटे का दीया जलाकर उसे मंगलवार को किसी भी हनुमान मंदिर या पीपल के वृक्ष के नीचे रख आएं। इस उपाय से कर्ज से छुटकारा मिलेगा। अश्लेषा नक्षत्र में बरगद का पत्ता लाकर अन्न भंडार में रखें, भंडार भरा रहेगा। हल्दी की गांठें, पान पत्ता और सुपारी तिजोरी में रखने से धन का भंडार बना रहेगा।
2. पीपल का उपाय : श्मशान के कुएं का जल लाकर किसी पीपल के वृक्ष पर चढ़ाना चाहिए। यह कार्य नियमित रूप से 7 शनिवार को किया जाना चाहिए और शनिवार के दिन ही पीपल के नीचे दिया जलाना चाहिए। इस उपाय से कर्ज से छुटकारा मिलेगा।
3. केले के पेड़ का उपाय : केले का पेड़ काफी पवित्र माना जाता है और कई धार्मिक कार्यों में इसका प्रयोग किया जाता है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को केले का भोग लगाया जाता है। कर्ज से मुक्ति और समृद्धि के लिए प्रति गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करना चाहिए। तुलसी और केल का पौधा घर में रखने से हमेशा बरकत बनी रहेगी।
4. नारियल का वृक्ष : हिन्दू धर्म में नारियल के बगैर तो कोई मंगल कार्य संपन्न होता ही नहीं। पूजा के दौरान कलश में पानी भरकर उसके ऊपर नारियल रखा जाता है। एक नारियल पर चमेली का तेल मिले सिन्दूर से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। कुछ भोग (लड्डू अथवा गुड़-चना) के साथ हनुमानजी के मंदिर में जाकर उनके चरणों में अर्पित करके ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करें। तत्काल लाभ प्राप्त होगा।
कारोबार में लगातार घाटा हो रहा हो तो गुरुवार के दिन एक नारियल सवा मीटर पीले वस्त्र में लपेटकर एक जोड़ा जनेऊ, सवा पाव मिष्ठान्न के साथ आस-पास के किसी भी विष्णु मंदिर में अपने संकल्प के साथ चढ़ा दें। तत्काल ही व्यापार चल निकलेगा।
5.बिल्व का वृक्ष : जिस घर में एक बिल्व का वृक्ष लगा होता है उस घर में लक्ष्मी का वास बतलाया गया है। इसके अलावा नीले फूल वाली कृष्णकांता की बेल से आर्थिक समस्याएं खत्म होती हैं। घर की पूर्व दिशा में गुलाब, चंपा, गूलर, चमेली, बेला, दुर्वा, तुलसी आदि के पौधे लगाने चाहिए। इससे शत्रुनाश, धनसंपदा की वृद्धि व संतति सुख प्राप्त होता है।