प्रारब्ध के कर्म अनुसार मनुष्य की जन्मपत्रिका में कई ऐसे दुर्योगों का सृजन हो जाता है जिससे उसका सम्पूर्ण जीवन संघर्षमय व्यतीत होता है। उसे पग-पग पर हानि व असफलताओं का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही एक भयानक योग है- केमद्रुम योग। ज्योतिष शास्त्रों में इस योग के सम्बन्ध में उल्लेख है कि यदि केमद्रुम योग हो तो मनुष्य स्त्री,अन्न,घर,वस्त्र व बन्धुओं से विहीन होकर दुःखी,रोगी व दरिद्री होता है चाहे उसका जन्म किसी राजा के यहां ही क्यों ना हुआ हो।
आइए जानते हैं कि जन्मपत्रिका में अत्यन्त घातक 'केमद्रुम योग' का सृजन किन ग्रह स्थितियों में होता है-
जब जन्मपत्रिका में चन्द्र से द्वितीय व द्वादश स्थान में कोई ग्रह नहीं हो, चन्द्र की किसी ग्रह से युति ना हो, चन्द्र से दशम स्थान में कोई ग्रह स्थित ना हो एवं चन्द्र जन्मपत्रिका के केन्द्र स्थानों में भी स्थित ना हो तो दरिद्रतादायक 'केमद्रुम योग' बनता है।
इस योग में जन्म लेने वाला जातक सदैव संघर्षमय जीवन व्यतीत करता है। उसे अथक परिश्रम के बाद भी अपेक्षित सफलता प्राप्त नहीं होती है। सानन्द जीवन-यापन के लिए केमद्रुम योग की शान्ति करवाना श्रेयस्कर होता है।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया