भगवान सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करते ही प्रारंभ हो जाता है मलमास जिसकी अवधि होती है एक माह की।
14 मार्च 2020 से एक माह की अवधि में समस्त शुभ कार्य जैसे गृहप्रवेश, मुंडन,यज्ञोपवित, विवाह संस्कार आदि वर्जित हैं।
कारण-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान सूर्य जब देवगुरु बृहस्पति की राशि धनु व मीन में गोचर करते हैं तो यह काल बृहस्पति के निस्तेजन का काल माना जाता है। क्योंकि सूर्य तेजस्वी ग्रह हैं वे जब बृहस्पति की राशि मे प्रवेश करेंगे तो उनके बल व प्रभाव को प्रभावित करते हैं,साथ ही बृहस्पति के निस्तेजन से सूर्य का बल भी प्रभावित होता है। दोनों ग्रह का बल व प्रभाव परस्पर कम होता है। यह काल मलिन दशा के अंतर्गत आता है इसलिए इसे मलिन या मल मास कहा जाता है।
दूसरी अवस्था में मलमास को आत्मशोधन का काल भी माना गया है जिसमें मनुष्य को सांसारिक कर्मों से विमुख हो कर स्वयं की आत्मा का शोधन करना चाहिए क्योंकि ज्योतिष में सूर्य आत्मा के कारक हैं और बृहस्पति मुक्ति के। इन दोनों की इस अवस्था मे मनुष्य स्वयं की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
अतः मलमास की अवधि में मनुष्य को अपने समस्त दूषित कर्म,अहंकार,द्वेष,वासना को त्याग कर भगवत भजन कर स्वयं की सद्गति को साध लेना चाहिए।
क्या करें -मलमास की अवधि में निरंतर अपने इष्ट देवता का जाप, तप, स्वाध्याय,दान,हवन,गौ सेवा,तीर्थाटन, संत दर्शन आदि।