Dhanu Sankranti 2021 : सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है। धनु राशि में सूर्य के प्रवेश करते ही खरमास आरंभ हो जाएगा। इस माह में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। इस माह में श्रीहरि विष्णु की पूजा का खासा महत्व है। आओ जानते हैं कि कब है धनु संक्रांति और पढ़ें खरमास की कथा।
Dhanu sankranti kab hai :16 दिसंबर 2021 को सूर्य का वृश्चिक राशि से प्रातः 3 बजकर 28 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश होगा। यह राशि सूर्य की मित्र राशि है। सूर्य इस राशि में ( Surya Ka Rashi Parivartan 2021 ) 14 जनवरी 2022 को दोपहर 2 बजकर 29 मिनट तक रहने के बाद मकर राशि में गोचर करेगा।
खरमास की कथा ( kharmas ki katha kahani ) :
भगवान सूर्य देव 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर निरंतर ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं। उनके सारथी हैं अरुण देव। सूर्य के घोड़ों को कहीं भी रुकने की अनुमति नहीं है। कहते हैं कि यदि वे रुक गए तो संपूर्ण ब्रह्मांड का जीवन में रुक जाएगा। परंतु लगातार चलने के कारण घोड़े भूख प्यास से थक जाते हैं।
उनकी यह दशा देखकर सूर्य देव उन्हें एक सरोवर के तट पर ले जाते हैं। तभी उन्हें ध्यान होता है कि यदि उनका रथ रुक गया तो अनर्थ हो जाएगा। संपूर्ण जगत का जीवन भी रुक जाएगा। तभी अचानक उन्हें तलाब के किनारे ही 2 खर दिखाई दिए। खर अर्थात गधे।
गधों को देखकर भगवान सूर्य देव ने अपने घोड़ों को पानी पीने और विश्राम करने के लिए छोड़ दिया और गधों को अपने रथ में जोत लिया। सभी जानते हैं कि घोड़ा तेज गति से परंतु गधा तो धीमी गति से चलता है। ऐस में जब तक घोड़ों ने पानी पीकर विश्राम किया तब तक एक माह गुजर चुका था और वे घोड़े पुन: रथ में जुतकर दौड़ने लगे। तभी से यह माह खरमास कहलाने लगा।
इस प्रतीकात्मक कथा से ऐसा माना जाता है कि इस माह में सूर्य की गति धीमी पड़ जाती है जिसके चलते वातावरण में ठंडक बढ़ जाती है। यह कहा जाता है कि धनु राशि में सूर्य के आ जाने से मौसम में परिवर्तन हो जाता है और देश के कुछ हिस्सों में बारिश होने के कारण ठंड भी बढ़ सकती है। इस दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि यह दिन बेहद ही पवित्र होता है ऐसे में जो कोई इंसान इस दिन विधिवत पूजा करते हैं उनके जीवन के सभी कष्ट अवश्य दूर होते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
यह भी मान्यता है कि भारतीय पंचाग के अनुसार जब सूर्य धनु राशि में संक्रांति करते हैं तो यह समय शुभ नहीं माना जाता इसी कारण जब तक सूर्य मकर राशि में संक्रमित नहीं होते तब तक किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किये जाते। पंचाग के अनुसार यह समय सौर पौष मास का होता है जिसे खर मास कहा जाता है। खर मास को भी मलमास का जाता है। एक मान्यता के अनुसार खरमास में खर का अर्थ 'दुष्ट' होता है और मास का अर्थ महीना होता है। मान्यता है कि इस माह में मृत्यु आने पर व्यक्ति नरक जाता है। हालांकि खर का अर्थ गथा भी होता है।