Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

लाल किताब अनुसार यदि कुंडली में गुरु यहां पर बैठा है तो घर में पूजाघर न रखें

हमें फॉलो करें लाल किताब अनुसार यदि कुंडली में गुरु यहां पर बैठा है तो घर में पूजाघर न रखें

अनिरुद्ध जोशी

लाल किताब के ज्योतिष अनुसार घर में मंदिर बनाना या पूजा घर रखना कुंडली के अनुसार तय होता है। किसी के लिए यह शुभ है तो किसी के लिए अशुभ। वीडियो देखकर समझें कि क्यों अशुभ है।


लाल किताब की कुंडली अनुसार यदि दसवें भाव में गुरु है तो ऐसे जातक को घर में मंदिर नहीं बनाना चाहिए। कुछ स्थितियों में चौथे और सातवें भाव में गुरु है तो भी घर में मंदिर या पूजाघर बनाना नुकसानदायक हो सकता है। खासकर ऐसा मंदिर जिसमें गुंबद या जिसका शिखर हो। 
 
इसके अलावा घर में बड़ी-बड़ी मूर्तियां भी नहीं रखनी चाहिए। हो सकता है कि यह मूर्तियां देवी या देवता की ना होकर बस सजावट हेतु ही हो। हालांकि किसी लाल किताब के विशेषज्ञ को अपनी कुंडली दिखाकर यह निर्णय लें तो बेहतर होगा।
 
चौथा खाना : पानी में तैरता ज्ञान। स्त्री, दौलत और माता का सुख। खुद का आलीशान मकान। यहां यदि उच्च का गुरु है तो प्रसिद्ध पाएगा। 
सावधानी : दसवें घर में गुरु के शत्रु ग्रह हैं तो सवधानी बरतें। बदनामी हो सकती है। बहन, पत्नी और माँ का सम्मान करें।
 
 
सातवां खाना : ऐसा साधु जो न चाहते हुए भी गृहस्थी में फंस गया है। यदि बृहस्पति शुभ है तो ससुराल से मिली दौलत बरकत देगी। ऐसा व्यक्ति आराम पसंद होता है लेकिन यही उसकी असफलता का कारण भी है।
सावधानी : घर में मंदिर रखना या बनाना अर्थात परिवार की बर्बादी। कपड़ों का दान करना वर्जित। पराई स्त्री से संबंध न रखें।
 
दसवां घर : ऐसा गृहस्‍थ जो बच्चों को अकेला छोड़कर चला जाए। यहाँ बैठा गुरु अशुभ फल देता है। यदि शनि अच्छी स्थिति में हो तो शुभ फल। चौथे घर में शत्रु ग्रह हो तो अशुभ।
सावधानी : ईश्वर और भाग्य पर भरोसा न करें। श्रम और कर्म हो ही अपनाएँ। दूसरों की भलाई पर ध्यान न दें। शादी के बाद किसी भी दूसरी स्त्री से संबंध न रखें अन्यथा सब कुछ बर्बाद। यदि शनि 1, 10, 4 में हो तो किसी को खाने या पीने की कोई भी वस्तु न दें। दया का भाव घातक होगा। 
 
अन्य सावधानी
*गुरु सप्तम भाव में हो तो कपड़ों का दान न करें।
*गुरु दशम या चौथे भाव में है तो घर या बाहर मंदिर न बनवाएं।
*गुरु नवम भाव में है तो मंदिर आदि में दान नहीं करना चाहिए।
*गुरु पांचवें भाव में है तो धन का दान नहीं करना चाहिए।
*गुरु बलवान होने पर- पुस्तकों का उपहार नहीं देना चाहिए।
*पिता, दादा, गुरु, देवता का सम्मान नहीं करता है तो बर्बादी।
*झूठ बोलने और धोखा देने से भी बर्बादी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नवरात्रि : खूब पैसा कमाना है तो इन 9 दिनों में कर लें यह 9 उपाय, एक बार अवश्य आजमाएं