ज्योतिषी डॉक्टर की भूमिका नहीं निभाते, परंतु जन्म पत्रिका या हस्तरेखा के आधार पर यह बताने का प्रयत्न करते हैं कि अमुक व्यक्ति को भविष्य में कौन सी बीमारी होने की आशंका है।
जैसे यदि जन्म पत्रिका में तुला लग्न या राशि पीड़ित हो, तो व्यक्ति को कटि प्रदेश में कष्ट होने की आशंका रहती है।
जन्म पत्रिका में बीमारी का घर छठा स्थान माना जाता है और अष्टम स्थान आयु स्थान है। तृतीय स्थान अष्टम से अष्टम होने से यह स्थान भी बीमारी के प्रकार को इंगित करता है।
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लाल किताब के अनुसार ग्रहों के योग से होने वाले रोग इस प्रकार हैं :
* जब सूर्य से शुक्र, बुध या गुरु मिलता है तो जातक को सांस की बीमारी होती है।
* चंद्र और राहु के संबंध से निमोनिया या पागलपन की बीमारी होती है।
* शुक्र एवं राहु का संबंध नामर्दी का कारक होता है।
* चंद्र और बुध या मंगल के टकराव से ग्रंथियां प्रभावित होती हैं।
ग्रह दोष निवारण के लिए लाल किताब में कई टोटके दिए गए हैं, जो बहुत लाभकारी सिद्ध हुए हैं। इनमें विभिन्न ग्रहों से संबंधित दान तथा कुछ अन्य उपाय इस प्रकार हैं-
* गेहूं, गुड़ या तांबा धर्म स्थान में दें। हरिवंश पुराण का पाठ करें।
* रात को अग्नि या चूल्हे को दूध से बुझाएं और शुभ कार्य के प्रारंभ में मुंह मीठा करें।