प्रतिमाह कृष्ण पक्ष में श्रीगणेश संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान श्रीगणेश को अपनी राशिनुसार प्रसाद चढ़ाने से समस्त कष्ट दूर होकर जीवन अपार खुशियों से भर जाता है।
आइए जानें संकष्टी चतुर्थी के दिन कौनसा मंत्र जपें और क्या चढ़ाएं प्रसाद...
मेष : ॐ वक्रतुण्डाय हुं।
प्रसाद : छुआरा और गु़ड़ के लड्डू।
वृष- ॐ ह्रीं ग्रीं ह्रीं।
प्रसाद : मिश्री, शक्कर, नारियल से बने लड्डू।
मिथुन-ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतेय वर वरद् सर्वजनं मे वशमानाय स्वाहा।
प्रसाद : मूंग के लड्डू, हरे फल।
कर्क- ॐ वक्रतुण्डाय हुं॥
प्रसाद : मोदक के लड्डू, मक्खन, खीर।
सिंह-ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतेय वरवरदं सर्वजनं में वशमानयं स्वाहा।
प्रसाद : गुड़ से बने मोदक के लड्डू व लाल फल।
कन्या- ॐ गं गणपतयै नमः या ॐ श्रीं श्रियैः नमः॥
प्रसाद : हरे फल, मूंग की दाल के लड्डू व किशमिश।
तुला- ॐ ह्रीं, ग्रीं, ह्रीं गजाननाय नम:।
प्रसाद : मिश्री, लड्डू और केला।
वृश्चिक- ॐ वक्रतुण्डाय हुं॥
प्रसाद : छुआरा और गु़ड़ के लड्डू।
धनु- हुं गं ग्लौं हरिद्रागणपतयै वरवरद दुष्ट जनहृदयं स्तम्भय स्तम्भय स्वाहा॥
प्रसाद : मोदक व केला।
मकर- ॐ लंबोदराय नमः
प्रसाद : मोदक के लड्डू, किशमिश, लड्डू।
कुंभ- ॐ सर्वेश्वराय नमः
प्रसाद : गुड़ लड्डू व मौसमी फल।
मीन- ॐ सिद्धि विनायकाय नमः
प्रसाद : बेसन के लड्डू, केला, बादाम।
उपरोक्त मंत्र जाप के द्वारा और श्रीगणेश को अपनी राशिनुसार भोग लगाने से आप जीवन में संपन्नता पा सकते हैं।