आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि अमुक व्यक्ति बड़ा भाग्यशाली है या अमुक व्यक्ति का भाग्य उसका साथ नहीं देता। आइए जानते हैं जन्मपत्रिका में वे कौन से ऐसे योग होते हैं जो व्यक्ति को भाग्यवान बनाते हैं।
जातक के भाग्य का विचार जन्मपत्रिका के नवम् भाव से किया जाता है। नवम् भाव जन्मपत्रिका में पंचम् से पंचम् होने के कारण अत्यन्त शुभ माना गया है। इसे त्रिकोण भाव भी कहा जाता है।
- यदि नवम् भाव का अधिपति (नवमेश) नवम् भाव में स्थित हो एवं नवम् भाव पर केवल शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो यह योग जातक को भाग्यवान बनाता है।
- यदि नवम् भाव का अधिपति (नवमेश) लाभ भाव में, केन्द्र स्थान में या त्रिकोण भाव में स्थित हो व नवम् भाव पर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो जातक भाग्यशाली होता है।
- यदि नवम् भाव में शुभ ग्रह स्थित हों व नवमेश शुभ स्थान में हो तो जातक भाग्यशाली होता है।
- यदि नवमेश उच्च राशिगत, मित्रक्षेत्री व षड्बल में बलवान हो तो जातक भाग्यशाली होता है।
इसके विपरीत निम्न ग्रहस्थितियों के कारण जातक को भाग्य का साथ प्राप्त नहीं होता-
- यदि नवम् भाव का अधिपति (नवमेश) अशुभ स्थान में हो।
- यदि नवम् भाव का अधिपति (नवमेश) नीच राशिगत, शत्रुक्षेत्री व षड्बल में निर्बल हो।
- यदि नवम् भाव में क्रूर व पाप ग्रह स्थित हों।
- यदि नवम् भाव पर क्रूर व पाप ग्रहों की दृष्टि हो।
- यदि नवमेश क्रूर ग्रहों द्वारा दृष्ट हो।
- यदि नवमेश की क्रूर व पाप ग्रहों के साथ युति हो।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया