सर्व कार्य सिद्धि हेतु शुद्ध स्थान से मृत्तिका लाकर अंगुष्ठ प्रमाण के 1,5,11,21,108,1008 या अधिक संकल्प लेकर शिवलिंग बनाएं। रुद्रपाठ, शतरुद्रीय, रुद्राष्टक या किसी भी शिव मंत्र से पूजन-अभिषेक करें। पूजन- पंचोपचार, षोड़षोपचार आदि कर सकते हैं।
* प्रेम प्राप्ति के लिए गुड़ के शिवलिंग बनाकर घृत का लेप कर पूजन करें। प्रेम प्राप्त करने व प्रेम बढ़ाने के लिए विशेष कार्य करता है।
* सभी प्रकार के सुख या किसी एक विशेष वस्तु के लिए भस्म जो किसी शुद्ध हवन की कपड़छन की गई हो उसमें जल मिलाकर शिवलिंग बनाएं तथा सिर्फ पूजन करें, अभिषेक न कर सिर्फ पाठ या जप करें।
* जौ, चावल, गेहूं के आटे के शिवलिंग बनाकर घृत लेपन कर पूजन-अभिषेक करने से संतान की प्राप्ति होती है।
* ऐश्वर्य, धन प्राप्ति के लिए, गौ दुग्ध के बने पनीर से शिवलिंग बनाकर पूजन-अर्चन करने से लक्ष्मी प्राप्ति होती है।
* मोक्ष प्राप्त करने के लिए कांसा, पीतल, स्वर्ण, रजत के बने शिर्वाचन करें।
* शत्रु संहार हेतु- सीसा आदि धातु के बने शिवलिंग का अर्चन किया जाता है। कहीं-कहीं निषेध भी है।
* फल से बने शिवलिंग से धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
* स्फटिक शिवलिंग का अर्चन करने से ऐश्वर्य प्राप्ति होती है।
* पुखराज, नीलम, गोमेद, माणिक्य, मूंगा के भी अर्चन का विधान है, अलग-अलग फल प्राप्ति होती है।
* पारे के शिवलिंग का अर्चन अर्थ-धर्म, काम-मोक्ष सभी देने में समर्थ है। शर्त है कि मंत्रों द्वारा शोधित होना चाहिए, अन्यथा दोष लगता है।
* गंगाजल, तीर्थजल से अभिषेक से सर्वसुख प्राप्ति होती है।
* दुग्धधारा से अभिषेक करने से गृह शांति होती है।
* सुगंधित तेल से भोग प्राप्ति तथा सरसों के तेल से शत्रु का नाश होता है।
* दुग्ध-शक्कर इत्यादि के मिश्रण से पूजन करने से मानसिक विकास होता है।
* घी के प्रयोग से वंश का विस्तार होता है।
* पंचामृत से अभिषेक करने से मनोवांछित फल मिलता है।
* ईख के रस या फलों के रस से धन प्राप्ति होती है।