मंगल के 4 हानिकारक प्रभाव आपको डरा देंगे लेकिन 6 सरल उपाय बचा लेंगे

Webdunia
मंगल के हानिकारक प्रभाव :-
 
1. मंगल आक्रामक पापी ग्रह माना जाता है और विवाह के अवसर पर जातक की जन्म कुंडली में मंगल की स्‍थिति देखना अनिवार्य समझा जाता है, क्योंकि जब जन्म लग्न से पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में मंगल हो तो जातक को मंगली कहा जाता है। 
 
यूं तो मंगल का प्रभाव 28, 32 वर्ष तक ही पाया जाता है, किंतु इस आयु तक ही जातक को वह अत्यधिक हानियां करा देता है। पत्नी की मृत्यु हो जाना (पत्नी के लिए पति), तलाक हो जाना, व्यापार-व्यवसाय में घाटा होना, नौकरी से पदच्युत होना, मृत्युतुल्य कष्ट जैसे परिणाम होते हैं।
 
2. लग्न स्थि‍त मंगल पत्नी से विच्छेद कराता है। चतुर्थ भाव का मंगल घर में कलह कराता है। सप्तम भाव का मंगल स्वयं जातक और जीवनसाथी दोनों को मृत्युतुल्य कष्ट देता है। बारहवां मंगल जीवनसाथी की मृत्यु या दांपत्य जीवन का सुख स्थायी रूप से छीन लेता है। मंगल के बारहवें घर में होने से जातक कंगाल होकर राजदंड भोग सकता है।
 
3. द्वितीय भाव में स्थित मंगल जातक को चोर बनाता है। नेत्र विकार देता है। तृतीय भाव का मंगल बड़े भाई के सुख से वंचित करता है। पंचम, दशम और एकादश भाव का मंगल संतान हानि कराता है।
 
4. जन्मकुंडली के किसी भी भाव में स्वराशि (मेष, वृश्चिक) या उच्च राशि (मकर) में हो तो पाप प्रभाव में वृद्धि हो जाती है। विशेष उदा. से अन्य भाव भी समझना चाहिए।
 
विशेष- मंगल यद्यपि पापी ग्रह है। जहां एक ओर हानि करता है, वहीं राजयोग भी फलित करता है। जैसे यदि मंगल चतुर्थ भाव में हो तो जातक को गृह, माता एवं पत्नी के सुख से वंचित कर देगा, किंतु जातक को उच्च स्तर का राज कर्मचारी, संपन्न और पिता की छत्रछाया में रहने वाला बना देगा। शुभाशुभ का निर्णय पाठक स्वयं करें।
 
मंगल शांति के उपाय :-
 
1. स्नान :- लाल चंदन, लाल पुष्प, बेल की छाल, जटामांसी, मौलश्री (मूसली), खिरेटी, गोदंती, मालकांगुनी तथा सिंगरक आदि में से जो सामग्री उपलब्ध हो उन्हें मिश्रित कर डाले गए जल से स्नान करने से मंगल के अनिष्ट शांत हो जाते हैं।
 
2. दान :- लाल रंग के वस्त्र या पुष्प या अन्य सामग्री, मसूर, गुड़, लाल चंदन, घी, केशर, गेहूं, मिठाई या मीठे पदार्थ, पताशे, रेवड़ी आदि के दान करने से मंगल के शुभ फलों में वृद्धि होती है।
 
3. पूजा-पाठ :- कार्तिकेय स्तोत्र का पाठ एवं पूजा, वाल्मीकि रामायण के सुंदरकांड का पाठ, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और हनुमानजी के प्रतिदिन दर्शन, पूजन कर दीपदान, लक्ष्मी स्तोत्र, गणपति स्तोत्र, महागायत्री उपासना आदि में से जो भी संभव हो, वह उपाय करने से मंगल के अनिष्ट शांत होते हैं।
 
4. जप-तप :- मंगल के मंत्र, हनुमानजी के मंत्रों का जाप, 11, 21, 28 या 43 मंगलवार के व्रत या विनायकी व्रत करने से मंगल के अनिष्ट शांत होते हैं।
 
5. धातु रत्नादि :- सोने की अंगूठी में मूंगा (लगभग 6 रत्ती) धारण करना चाहिए। मूंगे के अभाव में तांबा, संगमूशी या नागजिह्वा, गो जिह्वा जड़ी को धारण करना चाहिए। अंगूठी (सोना या तांबा) मध्यमा अंगुली में धारण करें। मूंगे के अलावा जो भी धातु या उपरत्न या जड़ी धारण करें, उसे प्रति तीन वर्ष बाद परिवर्तित करते रहें, क्योंकि मंगल संबंधी उपरत्नों का प्रभाव प्रति ‍3 वर्ष में समाप्त हो जाता है।
 
6. अन्य सरल उपाय :- हुनुमानजी के मंदिर में प्रतिदिन निश्चित संख्या में उड़द दान करना, मंगलवार को सिंदूर चढ़ाना, स्वयं सिंदूर का टीका लगाना (यह उपाय संयमी लोगों के लिए है), मंगलवार को गुड़, मसूर की दाल का दान करना, सदैव मेहमानों को भोजन के बाद सौंफ और मिश्री देना, रेवड़ी अर्थात गुड़ और तिल्ली, पताशे लोगों को खिलाना या जल में प्रवाहित कराना, लाल वस्त्र पहनना या लाल रूमाल रखना, भाइयों को दुखी न करना, भोजन में सदा तुलसी पत्र और कालीमिर्च का उपयोग करना आदि उपायों से मंगल से होने वाले अनिष्ट शांत होते हैं।
 
विशेष : दांपत्य जीवन को सुखी बनाने के लिए जन्म कुंडलियों में चाहे जितने उपाय हों, किंतु यदि मंगल दोष (मंगली) से युक्त कुंडली होने पर उसका कुछ ना कुछ तो परिणाम अवश्य होता है। अत: मंगल यदि दांपत्य या वैवाहिक दृष्टि से बाधक हो तो निम्न उपाय करना चाहिए।
 
1. कुंवारी कन्याओं को मंगल दोष में श्रीमद् भागवत के अठारहवें अध्याय के नवम् श्लोक जप, गौरी पूजन सहित तुलसी रामायण के सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए।
 
2. पुरुषों को योग्य जीवनसाथी प्राप्ति के लिए मूंगाजड़ित यंत्र धारण कर 28 मंगलवार तक व्रत करना चाहिए। इस बीच यदि बीच में ही कार्यसिद्धि अर्थात विवाह हो जाए तो भी संकल्पित व्रत पूरे करना चाहिए।
 
3. प्रयोगकर्ता ज्योतिष वर्ग के अनुसार मंगल का दांपत्य प्रभाव प्रथम विवाहित जीवन पर हानिकारक होता है। मंगल दोष से युक्त वर या कन्या का पूर्ण विधि-विधान से प्रतीकस्वरूप प्रथम विवाह करने के कुछ समय पश्चात वास्तविक विवाह करने से मंगल दोष स्वत: समाप्त हो जाता है।
 
कन्या का प्रतीक विवाह भगवान विष्णु सेकर इसका निराकरण किया जा सकता है। प्रतीक विवाह के अभाव में विवाह हो जाने के बाद किसी निश्चित अवधि के बाद उसी वर-वधू द्वारा एक बार पुन: विवाह (विधि-विधान सहित) करना चाहिए अर्थात एक ही जोड़े को दो बार विवाह करना चाहिए।
 
-ओमप्रकाश कुमरावत, खरगोन

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

ज्योतिष की नजर में क्यों है 2025 सबसे खतरनाक वर्ष?

Indian Calendar 2025 : जानें 2025 का वार्षिक कैलेंडर

Vivah muhurat 2025: साल 2025 में कब हो सकती है शादियां? जानिए विवाह के शुभ मुहूर्त

रावण का भाई कुंभकरण क्या सच में एक इंजीनियर था?

शुक्र का धन राशि में गोचर, 4 राशियों को होगा धनलाभ

सभी देखें

नवीनतम

23 नवंबर 2024 : आपका जन्मदिन

23 नवंबर 2024, शनिवार के शुभ मुहूर्त

Vrishchik Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: वृश्चिक राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

Kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती कब है? नोट कर लें डेट और पूजा विधि

Tula Rashi Varshik rashifal 2025 in hindi: तुला राशि 2025 राशिफल: कैसा रहेगा नया साल, जानिए भविष्‍यफल और अचूक उपाय

अगला लेख