हिन्दू धर्म के अनुसार चातुर्मास Chaturmas 2021 वह चार महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर, कार्तिक शुक्ल एकादशी पर समाप्त होता है। चातुर्मास के चार महीने यानी श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक माह तक चार्तुमास जारी रहता है।
जब चातुर्मास का आरंभ होता है तो उसे 'देवशयनी एकादशी' और जब चातुर्मास समाप्त होता है तो 'देवोत्थान या देवउठनी एकादशी' कहा जाता है। ध्यान और साधना करने वाले लोगों के लिए ये माह महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान शारीरिक और मानसिक स्थिति और वातावरण भी अच्छा रहता है।
इन दिनों व्रत, भक्ति और शुभ कर्म के चार महीने को हिन्दू धर्म में 'चातुर्मास या चौमासा कहा गया है। इस समयावधि को व्रतों का माह भी कहा जाता है क्योंकि उक्त चार माह में हमारी पाचनशक्ति कमजोर पड़ जाती है और भोजन और जल में बैक्टीरिया बढ़ जाते है। अत: इन दिनों उपवास रखना स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
चातुर्मास समाप्ति होने के बाद ही शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते है। देवउठनी एकदशी के बाद सभी शुभ कार्य, जैसे मांगलिक विवाह Shubh Vivah Muhurat, नामकरण संस्कार, मुंडन, गृह प्रवेश आदि जैसे कार्य शुरू हो सकेंगे। चातुर्मास में वर्जित माने गए सभी मांगलिक कार्य देवउठनी एकादशी के बाद जो आरंभ हो जाएंगे।
आपको बता दें कि देवउठनी एकादशी से शुभ मांगलिक विवाह का शुभारंभ हो जाता है। इस बार 14-15 नवंबर को देवउठनी एकादशी के बाद नवंबर के महीने में केवल 19, 20, 21, 26, 28, 29 व 30 इन तारीखों पर ही शुभ विवाह मुहूर्त हो सकेंगे और दिसंबर माह में 1, 2, 5, 6, 7, 11, 12 और 13 तारीख को आखिरी विवाह मुहूर्त है।
इस हिसाब यदि देखा जाए तो आगामी 2 महीनों में बहुत ही कम शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। इसके बाद अगले वर्ष यानी 2022 में 15 जनवरी से पुन: शुभ विवाह मुहूर्त प्रारंभ हो सकेंगे।