चाहे इंसान अमीर हो या गरीब सभी के जीवन में शादी-विवाह का अवसर आता है जो गृहस्थ जीवन का अति महत्वपूर्ण मोड़/विषय है। यह समय लगभग हर इंसान के जीवन में आता है।
जैसे इंसान के जीवन की अन्य क्रियाएं-प्रतिक्रियाएं ग्रह नक्षत्रों के आधार पर पूर्व से निर्धारित होती हैं ठीक वैसे ही वैवाहिक पक्ष का निर्धारण भी ग्रह नक्षत्रों के आधार पूर्व से निर्धारित होता है। शायद इसीलिए कहा है कि जोड़ियां ऊपर वाला बना कर भेजता है...
ज्योतिष् विज्ञान के आधार पर हम जान सकते हैं कि जातक का विवाह कब, कहां, किस उम्र में कैसे युवक या युवती से कितनी दूरी पर होगा। ससुराल कैसी होगी लड़की या लड़के का स्वभाव नौकरी/व्यवसाय रूप-रंग वैवाहिक जीवन सास- स्वसुर साला जेठ देवर इत्यादि का पता लगाया जा सकता है।
विवाह के संबंध में कुछ नकारात्मक लक्षण भी होते हैं जैसे वैधव्य या विधुर योग, तलाक की स्थिति, बीमारी की स्थिति तथा जीवन में विवाह योग की नगण्यता( विवाह योग नहीं), शादी से पूर्व प्रेम संबंध, बिना विवाह के पति पत्नी जैसा रिश्ता इत्यादि योग भी होते हैं जो हम ज्योतिषीय विश्लेषण से प्राप्त कर सकते हैं। बशर्ते जन्म विवरण 6 सेकंड से 46 सेकंड तक शुद्ध हो अन्यथा गलत सूचना प्राप्त होगी।
इस लेख का उद्देश्य यह है कि दाम्पत्य जीवन की उपरोक्त समस्त जानकारियां किसी सक्षम एवं समर्थ ज्योतिषाचार्य से प्राप्त कर भविष्य में आने वाली विसंगतियों से बचने का प्रयास कर सकते हैं।