Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

Gayatri Mantra: वेदमाता गायत्री देवी का खास मंत्र, जानें अर्थ सहित

Advertiesment
हमें फॉलो करें Gayatri Mantra: वेदमाता गायत्री देवी का खास मंत्र, जानें अर्थ सहित
Gayatri Mantra In Hindi : हिन्दू शास्त्रों में लिखा है कि मंत्रों का मंत्र महामंत्र है गायत्री मंत्र। यह प्रथम इसलिए कि विश्व की प्रथम पुस्तक ऋग्वेद की शुरुआत ही इस मंत्र से होती है। कहते हैं कि ब्रह्मा ने चार वेदों की रचना के पूर्व 24 अक्षरों के गायत्री मंत्र की रचना की थी। 
 
आइए जानते हैं गायत्री मंत्र के हर शब्द का है खास अर्थ-24 letters gayatri mantra  
 
मंत्र इस प्रकार है- 'ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।'
 
24 अक्षर गायत्री मंत्र : प्रत्येक अक्षर के उच्चारण से एक देवता का आह्‍वान हो जाता है। गायत्री मंत्र के चौबीस अक्षरों के चौबीस देवता हैं। उनकी चौबीस चैतन्य शक्तियां हैं। गायत्री मंत्र के चौबीस अक्षर 24 शक्ति बीज हैं। गायत्री मंत्र की उपासना करने से उन मंत्र शक्तियों का लाभ और सिद्धियां मिलती हैं।
 
ॐ : अ, उ और म। यह तीन अक्षरों से मिलकर बना शब्द ओम है जिसे प्रणव मंत्र भी कहते हैं। ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है। भू: लोक, भूव: लोक और स्वर्ग लोक का प्रतीक है। ॐ को ओम कहा जाता है। उसमें भी बोलते वक्त 'ओ' पर ज्यादा जोर होता है। इस मंत्र का प्रारंभ है अंत नहीं। यह ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि है।
 
भुर्भुव: स्व: : भू अर्थात धरती भुर्व: अर्थात अंतरिक्ष और स्व: अर्थात स्वर्गलोक। 
 
तत्सविदुर्वरेण्यं : त : परमात्मा अथवा ब्रह्म, सवितुः : ईश्वर अथवा सृष्टि कर्ता, वरेण्यम अर्थात पूजनीय।
 
भर्गो : अज्ञान तथा पाप निवारक।
 
देवस्य : ज्ञान स्वरुप भगवान का।
 
धीमहि धियो : हम ध्यान करते हैं बुद्धि प्रज्ञा का।
 
योनः : जो : हमें।
 
प्रचोदयात् : प्रकाशित करें।
 
1. पृथ्वीलोक, भुवर्लोक और स्वर्लोक में व्याप्त उस सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, वह परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करे।
 
2. उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंत:करण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
 
3. ॐ : सर्वरक्षक परमात्मा, भू : प्राणों से प्यारा, भुव : दुख विनाशक, स्व : सुखस्वरूप है, तत् : उस, सवितु : उत्पादक, प्रकाशक, प्रेरक, वरेण्य : वरने योग्य, भर्गो : शुद्ध विज्ञान स्वरूप का, देवस्य : देव के, धीमहि : हम ध्यान करें, धियो : बुद्धि को, यो : जो, न : हमारी, प्रचोदयात् : शुभ कार्यों में प्रेरित करें।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Janmashtami 2023: कृष्ण जन्माष्टमी पर निशीथ पूजा और पारण का मुहूर्त कब है?