किसी दीपक को जलाकर देव स्थान पर रखकर आना या उन्हें नदी में प्रवाहित करना दीपदान कहलाता है। आओ जानते हैं कि कैसे और क्यों नदी में दीप प्रवाहित करते हैं और क्या है इसके फायदे।
कैसे करते हैं दीपदान?
*आटे के छोटेसे दीपक बनाकर उसमें थोड़ासा तेल डालकर पतलीसी रुई की बत्ती जलाकर उसे पीपल या बढ़ के पत्ते पर रखकर नदी में प्रवाहित किया जाता है। अक्सर कार्तिक माह में नदी में दीप प्रवाहित करते हैं। खासकर देव दिवाली पर। समय-समय पर नदी में दीप प्रवाहित करने से दरिद्रता का नाश हो जाता है।
क्यों करते हैं दीप नदी में प्रवाहित?
*अपने पितरों की मुक्ति की कामना हेतु करते हैं दीपदान।
*अपने किसी संकट से मुक्ति की कामना हेतु करते हैं दीपदान।
*यह प्रभु के समक्ष निवेदन प्रकट करने का एक तरीका होता है।
*अकाल मृत्यु से बचने के लिए करते हैं दीपदान।
दीपदान करने के फायदे :
1. पूरे कार्तिक मास में सरसों के तेल का दीपक बहती हुई नदी में प्रवाहित करने से दरिद्रता दूर होती है और गरीबी दूर हो जाती है।
2. कार्तिक माह में भगवान विष्णु या उनके अवतारों के समक्ष दीपदान करने से समस्त यज्ञों, तीर्थों और दानों का फल प्राप्त होता है।
3. लक्ष्मी माता और भगवान विष्णु को प्रसन्न कर उनकी कृपा हेतु करते हैं दीपदान।
4. यम, शनि, राहु और केतु के बुरे प्रभाव से बचने के लिए करते हैं दीपदान।
5. सभी तरह के अला-बला, गृहकलह और संकटों से बचने के लिए करते हैं दीपदान।
6. जीवन से अंधकार मिटे और उजाला आए इसीलिए करते हैं दीपदान।
7. मोक्ष प्राप्ति के लिए करते हैं दीपदान।
8. किसी भी तरह की पूजा या मांगलिक कार्य की सफलता हेतु करते हैं दीपदान।
9. घर में धन समृद्धि बनी रहे इसीलिए भी करते हैं दीपदान।
10. माघ माह और कार्तिक माह में दीप प्रवाहित करने से सभी तरह के पाप मिट जाते हैं।