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नौतपा 2021 में कब से लगेगा, ये क्या होता है, जानिए

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अनिरुद्ध जोशी

प्रतिवर्ष ग्रीष्म ऋतु में नौतपा प्रारंभ होता है। इस बार नवतपा वैशाख शुक्ल की चतुर्दशी यानी 25 मई 2021 से प्रारंभ हो रहा है। कहते हैं कि नौतपा में धरती पर गर्मी बढ़ जाती है। नौतपा क्या है और क्यों इसमें गर्मी बढ़ जाती है आओ जानते हैं इस संबंध में संक्षिप्त जानकारी।
 
 
इस बार 25 मई 2021 से शुरू हो रहे नौतपा में 5 दिन ज्यादा दिक्कत से भरे रहेंगे, क्योंकि सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते ही धरती का तापमान तेजी से बढ़ने लगेगा। गुजरात तट पर आए ताऊ ते तूफान के कारण वातावरण में जो ठंडक बढ़ी थी अब वह उमस बढ़ा सकती है। रोहिणी नक्षत्र 25 मई को शुरू होगा और इस बार 3 जून तक रहेगा। हालांकि इस बार रोहिणी नक्षत्र लगने से पहले ही एक ओर जहां गर्मी बढ़ गई वहीं तूफान ने ठंडक की पैदा कर दी है। मौसम विज्ञानी मानते हैं कि तूफान का असर 22 मई तक रहेगा और इसके बाद फिर से गर्मी अपने तेवर दिखाएगी। देखते हैं रोहिणी नक्षत्र लगने के बाद मौसम का मिजाज क्या होता है। 

 
ज्योतिषों के मुताबिक, 14 अप्रैल को सूर्य की उच्च राशि मेष में प्रवेश के साथ ही दिनों-दिन गर्मी बढ़ती है। गर्मी का असर 8 जून तक ज्यादा रहेगा। इस वर्ष रोहिणी का निवास तट पर रहेगा। श्रेष्ठ वर्षा का योग रहेगा। रोहिणी का वाहन बेल होने से फसल अच्छी होगी।
 
नौतपा क्या है : सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए आता है तो उन पंद्रह दिनों के पहले नौ दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं। इन्हीं शुरुआती नौ दिनों को नौतपा के नाम से जाना जाता है। यदि इन नौ दिनों में किसी भी प्रकार से बारिश न हो और न ही ठंडी हवा चले तो यह माना जाता है कि आने वाले दिनों में अच्छी बारिश होगी। सूर्य की गर्मी और रोहिणी के जल तत्व के कारण मानसून गर्भ में जाता है और नौ तपा ही मानसून का गर्भकाल माना जाता है।
 
 
ऐसा क्यों होता है : सूर्य 12 राशियों 27 नक्षत्रों में भ्रमण करता है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य कुंडली में जिस भी ग्रह के साथ बैठता है तो उसके प्रभाव का अस्त कर देता है। रोहिणी नक्षत्र का अधिपति ग्रह चंद्रमा होता है। ऐसा में जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो वह चंद्र की शीतलता के प्रभाव पूर्णत: समाप्त करके ताप बढ़ा देता है। यानी पृथ्वी को शीतलता प्राप्त नहीं हो पाती। इस कारण ताप अधिक बढ़ जाता है।
 
 
नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें सीधी पृथ्वी पर आती जिसके चलते तापमान बढ़ता है। इस अधिक तापमान के कारण मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है जो समुद्र की लहरों को आकर्षित करता है। इस कारण कई जगहों पर ठंडी, तूफान और बारिश जैसे आसार भी नजर आने लगते हैं। बस इस दौरान हवाएं भले ही चलें लेकिन बारिश नहीं होना चाहिए तो फिर बारिश का सिस्टम अच्छे से बन जाता है। जैसे कहते हैं कि अच्छे से पका हुआ भोजन ही स्वाद देता है बस कुछ इसी तरह का मामला होता है।

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