इस बार साल 2020 में नौतपा 25 मई से शुरु हो रहा है। नौतपा के कारण गर्मी बढ़ने लगती है।
इस दौरान तापमान बेहद उच्च होता है। उत्तर भारत में गर्म हवाएं यानि लू चलने लगती है। नौतपा में नौ दिनों तक गर्मी अपने चरम पर होती है।
नौतपा का संबंध ज्योतिष से जुड़ा है। ज्योतिष की गणना के अनुसार, जब सूर्य चंद्रमा के नक्षत्र रोहिणी में प्रवेश करता है तो नौतपा प्रारंभ हो जाता है। सूर्य इस नक्षत्र में नौ दिनों तक रहता है।
25 मई से 2 जून तक होगा नौतपा :ज्योतिषियों के मुताबिक, सूर्य का रोहिणी नक्षत्र 24 मई की मध्यरात्रि के बाद 2 बजकर 33 मिनट पर प्रवेश करेगा। ज्येष्ठ माह में सूर्य के वृषभ राशि के 10 अंश से लेकर 23 अंश 40 कला तक को नौतपा कहा जाता है। इसकी समयावधि कुल 15 दिन की होती है। इस दौरान 15 दिन तक रोहिणी नक्षत्र में घुमेगा।
शास्त्रों के मुताबिक, इसके शुरुआती 9 दिन ही नौतपा के माने जाते हैं।
नौतपा का सही मायनो में प्रारंभ 25 मई को प्रातः 7 बजकर 5 मिनट पर सूर्य उदय के साथ होगा।
नौतपा के दौरान सूर्य की किरणें सीधे पृथ्वी पर प्रभाव डालती है। इससे प्रचंड गर्मी होती है तो मानसून में अच्छी बारिश होने के आसार बनते हैं। इस वर्ष नौतपा के दौरान बारिश के आसार बनेंगे। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चंद्र देव रोहिणी नक्षत्र के स्वामी हैं, जो शीतलता का कारक हैं, परंतु इस समय वे सूर्य के प्रभाव में आ जाते हैं।
नौतपा क्या होता है?
ज्योतिष गणना के अनुसार, जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए आता है तो उन पंद्रह दिनों के पहले नौ दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं। इन्हीं शुरुआती नौ दिनों को नौतपा के नाम से जाना जाता है।
खगोल विज्ञान के अनुसार, इस दौरान धरती पर सूर्य की किरणें सीधी लम्बवत पड़ती हैं। जिस कारण तापमान अधिक बढ़ जाता है। कई ज्योतिषी मानते हैं कि यदि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो यह अच्छी बारिश का संकेत होता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार रोहिणी नक्षत्र का अधिपति ग्रह चंद्रमा और देवता ब्रह्मा हैं। सूर्य ताप, तेज का प्रतीक है, जबकि चंद्र शीतलता का। चंद्र से धरती को शीतलता प्राप्त होती है। सूर्य जब चंद्र के नक्षत्र रोहिणी में प्रवेश करता है तो इससे वह उस नक्षत्र को अपने पूर्ण प्रभाव में ले लेता है।
जिस तरह कुंडली में सूर्य जिस ग्रह के साथ बैठ जाए वह ग्रह अस्त के समान हो जाता है, उसी तरह चंद्र के नक्षत्र में सूर्य के आ जाने से चंद्र के शीतल प्रभाव क्षीण हो जाते हैं यानी पृथ्वी को शीतलता प्राप्त नहीं हो पाती। इस कारण ताप अधिक बढ़ जाता है। नौतपा का जितना महत्व ज्योतिष शास्त्र में है, उतना ही वैज्ञानिक तथ्य भी इसे मान्य करते हैं।
नौतपा का पौराणिक महत्व
नौतपा का ज्योतिष के साथ-साथ पौराणिक महत्व भी है। ज्योतिष के सूर्य सिद्धांत और श्रीमद् भागवत में नौतपा का वर्णन आता है। कहते हैं जब से ज्योतिष की रचना हुई, तभी से ही नौतपा भी चला आ रहा है। सनातन सस्कृति में सदियों से सूर्य को देवता के रूप में भी पूजा जाता रहा है।
-इस बार नौतपा में गर्मी कम पड़ने के आसार है और बारिश और आंधी चलने की संभावना है।
-इस बार चक्रवात के चलते मौसम में परिवर्तन हो रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, नौतपा की शुरुआत बारिश के साथ होगी। देश के अनेक भागों में धूल भरी आंधी चलेंगी।
-आसमान में बादलों की आवाजाही से गर्मी का असर थोड़ा कम होने का अनुमान है।
-नौतपा के दौरान जनता 3 दिन भीषण गर्मी से त्रस्त रहेगी। आसमान में काले बादल छाएंगे और देश के अनेक भागों में तेज धूलभरी आंधियां चलेंगी और बारिश होगी।
-इस दौरान तीन-चार दिन बारिश के योग बन रहे हैं।
-शनि, शुक्र और बृहस्पति के वक्री होने का असर नौतपा पर भी नजर आएगा।
-उत्तरी राज्यों में तेज बारिश दक्षिणी राज्यों में समुद्र में हलचल होने की संभावना है।
-पूर्वी प्रदेशों के अलावा नेपाल, चीन में भूकंप आने के आसान दिख रहे हैं।
-पश्चिम राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात में समुद्र तटीय शहरों पर अधिक खतरा है। यह खतरा प्राकृतिक आपदा, रोग, महामारी के रूप में देखा जा सकता है।