नौतपे की शुरुआत 25 मई से हो गई है। नौतपा उस दिन से शुरू होता है, जब सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश होता है। इन नौ दिनों में सूर्य की किरणें सीधी धरती पर अपनी तपिश छोड़ती हैं, जिस कारण इन नौ दिनों में भीषण गर्मी पड़ती है। इसमें शुरू के तीन दिन गर्मी, अगले तीन दिन उमस और आखिरी तीन दिन वर्षा ऋतु के कार्यकाल की रूपरेखा बनाते हैं। रोहिणी नक्षत्र में सूर्य जिस तत्व लग्न में प्रवेश करता है उसके प्रभाव से वर्षा निर्भर करती है।
सूर्य का वृषभ राशि में परिभ्रमण होता है, तो यह वर्ष का प्राकृतिक संतुलन तय करता है। एक जून से वर्षा का चक्र शुरू होता है। केरल से मानसून प्रारंभ होगा, क्योंकि दक्षिण-पश्चिम वर्षा का चक्र बनाता है और यही पूरे भारत की वर्षा को प्रभावित करता है।
नौतपे के शुरूआती तीन दिनों में पहनावे और खान-पान का खास ख्याल रखना चाहिए। सूती कपड़े पहनें, अन्यथा त्वचा संबंधी रोग हो सकते हैं। खाने-पीने का भी विशेष ध्यान रखें।
यह समय सूर्य का पापाक्रांत समय होता है। इस दौरान पेट से संबंधी बीमारियों के होने की आशंका अधिक होती है। हल्का भोजन लें और पानी ज्यादा से ज्यादा पीएं। नौ-तपे के आखिरी तीन दिन वर्षा ऋतु की स्थिति स्पष्ट होगी। मौसम के हिसाब से होने वाली व्याधियों से बचने की जरूरत है।