शास्त्र नियम के अनुसार सूर्योदय के बाद अभिजीत मुहूर्त में चैत्र वासंत शुक्ल प्रतिपदा में नवरात्रारंभ कलश स्थापना की जाती है।
शास्त्रानुसार इस विहितकाल में प्रतिपदा तिथि की पहली 16 घड़ियां तथा चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग का संपर्क वर्जित है। शास्त्र वचन के अनुसार, इन दोषों का जहां तक संभव हो, त्याग करना चाहिए।
धर्मसिन्धुकार के अनुसार, इस वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 8 अप्रैल 2016 ई. के दिन वैधृति योग प्रातः 10.44 तक है। यद्यपि शास्त्रों में चित्रा एवं वैधृति का पूर्वार्द्ध भाग ही विशेष रूप से वर्जित माना गया है।
परंतु मतांतर से कुछ विद्धान वैधृति के संपूर्ण काल को दूषित मानते हैं। अतएवं जहां तक संभव हो वैधृति काल को त्याग कर प्रातः 10.44 बाद ही नवरात्रारंभ, घटस्थापना, दीप-पूजन आदि शुभ कार्य करने चाहिए।
पंजाब, हिमाचल आदि क्षेत्रों में इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.06 से 12.54 तक रहेगा।
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चर- 10.55 से 12.33 तक
लाभ- 12.33 से 14.11 तक
अमृत- 14.11 से 15.49 तक
शुभ- 17.27 से 19.05 तक।
ये समय इंदौर अक्षांश पर हैं। मुंबई में 14 मिनट बढ़ाकर लें। दिल्ली में 8 व अमृतसर में 10 मिनट बढ़ाकर लें। किसी भी स्थान के लिए लगभग प्रारंभ वाले समय में 15 मिनट बढ़ाकर लें।