जब तक मंजन, टूथपेस्ट और टूथब्रश का चलन नहीं था तब तक लोग नीम या कीकर के वृक्ष की लकड़ी से ही दांत साफ करते थे। अब यह कुछ गांवों में ही प्रचलित है कि नीम की छाल या डंडी तोड़कर उससे दांत साफ किए जाएं। दातुन कई प्रकार की लकड़ी से की जाती है, नीम, बबूल, अर्जुन, बेर, न्यग्रोध, खदिर, करज्ज आदि। आओ जानते हैं नीम की दातुन करने के 5 फायदे।
1. नीम की दातुन करते रहने से शनि और मंगल के दोष दूर होते हैं। नीम की दातून करने से और भी कई ज्योतिष लाभ मिलते हैं।
2. नीम की दातुन करते रहने से दांत के बैक्टीरिया मर जाते हैं। अर्थात दांत और मसूड़ों में किसी भी प्रकार के कीड़े नहीं रहते हैं। दांतों का कोई रोग नहीं होता है।
3. कभी-कभी 4 बूंद सरसों के तेल में नमक मिलाकर नीम से दातुन करने से दांत एकदम साफ और मसूड़े मजबूत हो जाते हैं।
4. दांतों का पीलापन, कमजोरी, मुंह की दुर्गन्ध, दातों की सड़न और पस भी इस दातुन को करने से दूर हो जाती है। नीम के दातुन में एक प्रकार का एंटीबैक्टीरियल रस पाया जाता है, जो मुंह में होने वाले छालों को भी ठीक करता है।
5. नीम की दातुन करते रहने से सिर्फ दांत या मसूड़े ही नहीं आंखें, कान और मस्तिष्क भी सही रहते हैं। नियमित रूप से नीम का दातुन करने से चेहरे का तेज बढता हैं।
नीम के अन्य लाभ :
देवी और शक्ति की उपासना में नीम का प्रयोग किया जाता है। नीम की लकड़ी से हवन करने से शनि की शांति होती है। इसके पत्तों को जल में डालकर स्नान करने से केतु संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। नीम की लड़की के बने पलंग पर सोने से त्वचा रोग दूर होते हैं। नीम के तेल और छाल के प्रयोग से कुष्ठ रोग दूर होता है। नीम की लड़की की माला धारण करने से शनि की पीड़ा समाप्त हो जाती है। नीम के पत्तों का वन्दनवार लगाने से घर में नकारात्मक उर्जा प्रवेश नहीं करती है।