ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की पूजा पूरे विधि विधान से करने पर हर तरह का सासांरिक सुख और शुभ फल मिलता है।
हर वर्ष 24 एकादशियां होती हैं। जब अधिकमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 25 हो जाती है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। इस व्रत में पानी भी नहीं पीते हैं। इसलिए इस निर्जला एकादशी कहा जाता है।
इस व्रत को नर-नारी दोनों को करना चाहिए। इस दिन निर्जल व्रत करते हुए शेषशायी रूप में भगवान विष्णु की अराधना का विशेष महत्व है। इस दिन ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप कर गोदान, वस्त्र दान, फल का दान करना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार अगर आप इस दिन लोगों और दूसरे जीव को पानी पिलाते हैं तो आपको पूरे व्रत का फल मिल ही जाता है। इस व्रत को घर की सुख-शांति के लिए रखा जाता है। इस व्रत को करने से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इस व्रत की सबसे बात यह है कि साल भर में आने वाले सभी एकादशियों का फल केवल इस व्रत को रखने से मिल जाता है। इस व्रत को महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने किया था, इसी वजह से इसे भीम एकादशी भी कहा जाता है।
शुभ मुहूर्त : इस बार निर्जला एकादशी के शुभ मुहूर्त की शुरुआत 12 जून 2019 बुधवार से होगी। जो सुबह 6 बजकर 27 से शुरू होगा। तो वहीं इस एकादशी की तिथि समाप्ति 13 जून 4 बजकर 49 मिनट तक होगी। इसके साथ ही निर्जला एकादशी पारण का समय 14 जून को 2019 को सुबह 5:27 बजे से लेकर 8:13 बजे तक रहेगा।
निर्जला एकादशी व्रत करने वाले को सुबह उठकर स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। भगवान विष्णु को पीला रंग पसंद है। उन्हें पीले फल, पीले फूल, पीले पकवान का भोग लगाएं। दीपक जलाकर आरती करें। इस दौरान ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
निर्जला एकादशी के दिन दान अवश्य करें। शाम के समय तुलसी जी की पूजा करें। व्रत के अगले दिन सुबह उठकर स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें और गरीब, जरूरतमंद या फिर ब्राह्मणों को भोजन करवाएं।