* शुभ भी होता हैं पंचक.., जानिए कैसे?
14 सितंबर से पंचक शुरू हो गया है, जो 19 सितंबर तक रहेगा। नक्षत्रों के मिलन से बनने वाले विशेष योग को 'पंचक' कहा जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार इसे शुभ नहीं माता जाता, हालांकि कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि पंचक में भी शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
ऐसा नहीं है कि पंचक में आने वाले नक्षत्रों में सिर्फ अशुभ ही होता है। यदि पंचक में कुछ विशेष शुभ योगों का संयोग हो तो शुभ कार्य भी किए जाते हैं। पंचक में आने वाला उत्तराभाद्रपद नक्षत्र वार के साथ मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग बनाता है, वहीं धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र यात्रा, व्यापार, मुंडन आदि शुभ कार्यों में श्रेष्ठ माने गए हैं।
पंचक में आने वाले तीन नक्षत्र पूर्वा भाद्रपद, उत्तराभाद्रपद व रेवती रविवार को होने से आनंद आदि 28 योगों में से 3 शुभ योग बनाते हैं, ये शुभ योग इस प्रकार हैं- चर, स्थिर व प्रवर्ध।
आगे पढ़ें पंचक के शुभ नक्षत्र एवं शुभ फल....
जानिए पंचक के शुभ नक्षत्र तथा उनके शुभ फल : -
* धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र चल संज्ञक माने जाते हैं। इनमें चलित काम करना शुभ माना गया है, जैसे- यात्रा करना, वाहन खरीदना, मशीनरी संबंधित काम शुरू करना शुभ माना गया है।
* उत्तराभाद्रपद नक्षत्र स्थिर संज्ञक नक्षत्र माना गया है। इसमें स्थिरता वाले काम करने चाहिए, जैसे- बीज बोना, गृह प्रवेश, शांति पूजन और जमीन से जुड़े स्थिर कार्य करने में सफलता मिलती है।
* रेवती नक्षत्र मैत्री संज्ञक होने से इस नक्षत्र में कपड़े, व्यापार से संबंधित सौदे करना, किसी विवाद का निपटारा करना, गहने खरीदना आदि काम शुभ माने गए हैं।