पौष मास (Paush mass) में और खास करके पौष पूर्णिमा (Paush Purnima 2022) के दिन सूर्यदेव (Lord Sun) की आराधना का बहुत अधिक महत्व हमारे पौराणिक शास्त्रों में बताया गया है। ज्योतिष (Astrology) में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है।
अगर किसी जातक की पत्रिका (Janm Kundali) में सूर्य अनुकूल न हो हो तो उसे हर कार्य में असफलता मिलने लगती है। ऐसी स्थिति में सूर्य यंत्र की प्रतिष्ठा करके पूजन करने से शीघ्र ही सकारात्मक फल प्राप्त होने लगते है। इतना ही नहीं, अगर आप चाहे तो सूर्य यंत्र को धारण करके भी सूर्यदेव पूर्ण कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का कुंडली में अनुकूल होना बेहद जरूरी माना गया है, क्योंकि इससे करियर में उन्नति तथा मान-सम्मान की प्राप्ति भी होती है।
पूजन विधि-
- सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए पौष पूर्णिमा के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर पूजन स्थल में सूर्य यंत्र को अपने सामने रखकर भगवान श्री विष्णु का पूजन करें।
- इस दिन सुबह से ही मुंह जूठा ना करें।
- ठीक 12 बजे जब सूर्यदेव शीर्ष पर हो तब शुद्ध ताजे बने चावल पर दूध डालें। ऊपर से 1/2 चम्मच शुद्ध घी डालें, सबसे ऊपर शकर रखें और इसका भोग सूर्य देवता को अर्पित करें।
- सूर्य यंत्र की पूजन के पश्चात इस भोग को स्वयं ग्रहण करें।
- अगर पौष पूर्णिमा के दिन रविवार पड़ता है तो अतिउत्तम। इस दिन बिना नमक का भोजन ग्रहण करें।
- हरिवंश पुराण की कथा का आयोजन करना अतिशुभ माना गया है।
- अधिक से अधिक सूर्य मंत्रों का जाप करें।
पौष पूर्णिमा पर सूर्य पूजन के लाभ-
- पौष पूर्णिमा के दिन सूर्य यंत्र को सामने रखकर 9 ग्रहों की उपासना करने से जीवन के सभी प्रकार की आपदाएं नष्ट होती हैं।
- करियर में सफलता, समाज में यश, पद, प्रतिष्ठा और प्रगति प्राप्त होती है।
- जीवन के शुभ कार्यों में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती है।
- अच्छा आरोग्य प्राप्त होता है।
- व्यापार-व्यवसाय में सफलता मिलने लगती है।