कैलेंडर के मतांतर के चलते कई जगहों पर फुलेरा दूज मंगलवार, 21 फरवरी को तो कई स्थानों पर उदया तिथि के अनुसार 22 फरवरी, बुधवार को मनाया जाएगा। उनके भक्त दूज के दिन मंदिरों में श्री कृष्ण के कमर में एक छोटा सा रंगीन कपड़ा बांधते हैं, जिसका अर्थ यह होता है, भगवान श्री कृष्ण राधा के साथ होली खेलने के लिए तैयार है। क्योंकि इसी दिन से होली के त्यौहार की शुरुआत होती है।
फुलेरा दूज के शुभ संयोग-
शिवयोग 21 फरवरी प्रातः 6:57 तक, उसके पश्चात सिद्धि योग 22 फरवरी प्रातः 3:08 तक, उसके बाद साघ्य योग यानी इन 3 शुभ योग के अलावा फुलोरा दूज पर त्रिपुष्कर योग प्रातः 9:00 से अगले दिन प्रातः 5:57 तक, तत्पश्चात 22 फरवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग प्रातः 6:38 से 6:54 तक रहने वाला है। अत: इस बार 21 फरवरी को शिव योग, सिद्धि योग, साघ्य योग, त्रिपुष्कर योग तथा सर्वार्थ सिद्धि योग के इन पांच शुभ योग में फुलेरा दूज मनाई जाएगी।
फुलेरा दूज मंगलवार, 21 फरवरी 2023 के मुहूर्त-Phulera Dooj Muhurat
फाल्गुन शुक्ल द्वितीया तिथि का प्रारंभ- 21 फरवरी 2023, दिन मंगलवार को 09:04 ए एम शुरू।
फाल्गुन शुक्ल द्वितीया तिथि का समापन- 22 फरवरी 22, 2023 को 05:57 ए एम तक।
फुलेरा दूज के दिन का चौघड़िया मुहूर्त-
चर- 09.45 ए एम से 11.10 ए एम
लाभ- 11.10 ए एम से 12.35 पी एम
अमृत- 12.35 पी एम से 02.00 पी एम
शुभ- 03.25 पी एम से 04.50 पी एम
रात का चौघड़िया-
लाभ- 07.50 पी एम से 09.25 पी एमकाल रात्रि
शुभ- 11.00 पी एम से 22 फरवरी को 12.34 ए एम तक।
अमृत- 12.34 ए एम से 22 फरवरी को 02.09 ए एम तक।
चर- 02.09 ए एम से 22 फरवरी को 03.44 ए एम तक।
फुलेरा दूज पूजा विधि-Phulera Dooj Vidhi
- फुलेरा दूज के दिन प्रात: स्नानादि करके पूजा स्थल की सफाई करें।
- अब मालती, पलाश, कुमुद, गेंदा, गुलाब, हरश्रृंगार आदि फूलों को एकत्रित कर लें।
- राधा जी और श्री कृष्ण की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
- रोली, कुमकुम, फूल, अक्षत, चंदन, धूप, दीप, आदि से पूजन करें।
- अब सुगंधित पुष्प, द्रव्य और अबीर-गुलाल अर्पित करें।
- अब राधा जी और भगवान श्री कृष्ण को फूल अर्पित करें।
- राधा जी और भगवान श्री कृष्ण को सुगंधित फूलों से सजाएं तथा फूलों से होली खेलें।
- प्रसाद में मौसमी फल, सफेद मिठाई, पंचामृत और मिश्री अर्पित करें।
- राधा-कृष्ण के मंत्रों का जाप करें।
- राधा-कृष्ण के पूजन के लिए शाम का समय भी सबसे उत्तम माना जाता है।
- अत: शाम को पुन: स्नान करके रंगीन वस्त्र धारण करके राधा-रानी का पुन: श्रृंगार करके आनंदपूर्वक पूजन करें।
- आरती करें, फल, मिठाई और श्रृंगार सामग्री अर्पित करें।
- आज के दिन श्रृंगार की वस्तुओं का दान करें
- पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें तथा सात्विक भोजन लें।
कथा के अनुसार, व्यस्तता के कारण भगवान श्री कृष्ण कई दिनों से राधा जी से मिलने वृंदावन नहीं आ रहे थे। राधा के दुखी होने पर गोपियां भी श्री कृष्ण से रूठ गई थीं। राधा के उदास होने के कारण मथुरा के वन सूखने लगे और पुष्प मुरझा गए। वनों की स्थिति के बारे में जब श्री कृष्ण को पता चला तो वह राधा से मिलने वृंदावन पहुंचे।
श्री कृष्ण के आने से राधा रानी खुश हो गईं और चारों ओर फिर से हरियाली छा गई। कृष्ण ने खिल रहे पुष्प को तोड़ लिया और राधा को छेड़ने के लिए उन पर फेंक दिया। राधा ने भी ऐसा ही श्री कृष्ण के साथ किया। यह देखकर वहां पर मौजूद गोपियों और ग्वालों ने भी एक-दूसरे पर फूल बरसाने शुरू कर दिए। इस दिन मथुरा और वृंदावन में सभी मंदिरों को फूलों से सजाया जाता है तथा फूलों की होली खेली जाती है। कहते हैं तभी से फूलों की होली खेली जाने लगी।