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जानिए, किसे प्राप्त होता है तीर्थ का फल

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पं. प्रणयन एम. पाठक

तीर्थ यात्रा का मुख्य उद्देश्य होता है पुण्य फल कमाना। लेकिन कुछ पौराणिक तथ्य बताते हैं कि तीर्थ यात्रा का फल किसे मिलता है और किसे नहीं... जानिए तीर्थ यात्रा से पहले और तीर्थ यात्रा के दौरान क्या सावधानियां रखें।  
 
1. तीर्थ क्षेत्र में जाने पर मनुष्य को स्नान, दान, जप आदि करना चाहिए, अन्यथा वह रोग एवं दोष का भागी होता है।
 
2. अन्यत्र हिकृतं पापं तीर्थ मासाद्य नश्यति। तीर्थेषु यत्कृतं पापं वज्रलेपो भविष्यति।
 
अर्थात् अन्य जगह किया हुआ पाप तीर्थ में जाने से नष्ट हो जाता है, पर तीर्थ में किया हुआ पाप वज्रलेप हो जाता है।

3. जब कोई अपने माता-पिता, भाई, परिजन अथवा गुरु को फल मिलने के उददेश्य से तीर्थ में स्नान करता है तब उसे स्नान के फल का बारहवां भाग प्राप्त हो जाता है।
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4. जो दूसरों के धन से तीर्थ यात्रा करता है। उसे पुण्य का सौलहवां भाग प्राप्त होता है और जो दूसरे कार्य के प्रसंग से तीर्थ में जाता है उसे उसका आधा फल प्राप्त होता है। 

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