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रथ सप्तमी के दिन करें सूर्य की उपासना, मिलेगा आरोग्य एवं समृद्धि का वरदान, जानें शुभ मुहूर्त एवं कथा

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सोमवार, 7 फरवरी 2022 को रथ सप्तमी (rath saptami 2022) मनाई जाएगी। यह तिथि माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को पड़ती है। इसे माघी सप्तमी, रथ सप्तमी अथवा अचला सप्तमी, भानू सप्तमी के नाम से भी जाना जाता हैं। रथ या अचला सप्तमी के दिन आरोग्य देने वाले और प्रकाश के देवता माने गए भगवान सूर्यदेव की उपासना की जाती है। पौराणिक शास्त्रों में सूर्यदेव को आरोग्यदायक कहा गया है तथा सूर्य की उपासना से रोग मुक्ति का मार्ग भी बतलाया गया है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यदि विधि-विधानपूर्वक यह व्रत किया जाए तो पूरे माघ मास के स्नान का पुण्य मनुष्य को प्राप्त होता है।
 
मान्यतानुसार इस दिन स्नानादि कार्यों से निवृत्त होकर सूर्यदेव की पूजा करने वाले व्यक्ति को अच्छा आरोग्य, धन-समृद्धि और संतान की प्राप्ति होती है। रथ सप्तमी व्रत को करने वाले मनुष्य के शरीर, हड्डियों की कमजोरी दूर होकर जोड़ों के दर्द से मुक्ति आदि कई रोगों से मुक्ति मिलती है।

इसके साथ ही यदि कोई व्यक्ति भगवान सूर्यदेव की ओर अपना मुख करके सूर्य स्तुति पढ़ें तो चर्म रोग के साथ ही अन्य रोग भी नष्ट हो जाते हैं। माना जाता हैं कि इस दिन भगवान सूर्य नारायण की प्रिय धातु तांबे से बने छल्ले को गंगाजल से शुद्ध करके अनामिका उंगली में धारण किया जाता है और ऐसा करने से बार-बार स्वास्थ्य में आ रही परेशानियां समाप्त होती हैं।


रथ सप्तमी शुभ मुहूर्त-Ratha Saptami 2022 puja muhurat
 
रथ सप्तमी व्रत- सोमवार, 07 फरवरी 2022, 
इस बार सप्तमी तिथि का प्रारंभ- 07 फरवरी को सुबह 04.37 मिनट से शुरू
मंगलवार, 08 फरवरी, 2022 को सुबह 06.15 मिनट पर सप्तमी तिथि की समाप्ति। 
सोमवार को सूर्यदेव की पूजन का सबसे शुभ समय- सुबह 5.22 से सुबह 7.06 मिनट तक।
सोमवार का राहुकाल समय: प्रात:काल 7:30 से 9:00 बजे तक।
 
ratha saptami story पौराणिक कथा-

माघ शुक्ल सप्तमी यानी रथ/अचला सप्तमी की इस कथा का उल्लेख पुराणों में मिलता है। इस व्रत कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण के पुत्र शाम्ब को अपने शारीरिक बल पर बहुत अभिमान हो गया था। एक बार दुर्वासा ऋषि भगवान श्री कृष्ण से मिलने आए। वे बहुत अधिक दिनों तक तप करके आए थे और इस कारण उनका शरीर बहुत दुर्बल हो गया था। शाम्ब उनकी दुर्बलता को देखकर जोर-जोर से हंसने लगा और अपने अभिमान के चलते उनका अपमान कर दिया। 
 
तब दुर्वासा ऋषि अत्यंत क्रोधित हो गए और शाम्ब की धृष्ठता को देखकर उसे कुष्ठ होने का श्राप दे दिया। शाम्ब की यह स्थिति देखकर श्री कृष्ण ने उसे भगवान सूर्य की उपासना करने को कहा। पिता की आज्ञा मानकर शाम्ब ने भगवान सूर्यदेव की आराधना करना प्रारंभ किया, जिसके परिणामस्वरूप कुछ ही समय बाद शाम्ब को कुष्ठ रोग से मुक्ति प्राप्त हो गई।

इसी वजह से रथ सप्तमी (rath saptami) के दिन जो श्रद्धालु भगवान सूर्य की आराधना विधिपूर्वक करते हैं, उन्हें सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है तथा आरोग्य, पुत्र और अपार धन की प्राप्ति होती है। 

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