* 27 दिसंबर को इस साल का आखिरी प्रदोष व्रत, जानें व्रत और पूजा विधि
वर्ष 2020 में साल का अंतिम प्रदोष व्रत रविवार, 27 दिसंबर को है। इस दिन शुभ ज्योतिषीय रवियोग भी बन रहा है। रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को करने वाला हमेशा निरोगी रहता है। रविवार के दिन यह व्रत आने की वजह से इसे 'रवि प्रदोष व्रत' भी कहा जाता है।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रदोष व्रत प्रत्येक मास की त्रयोदशी तिथि को होता है। एक मास में यह व्रत दो बार आता है। हमारे शास्त्रों में प्रदोष व्रत की बड़ी महिमा है। रविवार को आने वाला यह प्रदोष व्रत स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इसी दिन अनंग त्रयोदशी व्रत भी है। इस व्रत में पूजन सूर्यास्त के समय करने का महत्व है। यह व्रत करने वाले की स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां दूर होती हैं अत: स्वास्थ्य में सुधार होकर मनुष्य सुखपूर्वक जीवन-यापन करता है। यहां पाठको के लिए प्रस्तुत हैं रवि प्रदोष व्रत की पूजन विधि-
जानिए पूजन विधि, मंत्र एवं मुहूर्त-
कैसे करें व्रत : इस दिन प्रदोष व्रतार्थी को नमकरहित भोजन करना चाहिए। यद्यपि प्रदोष व्रत प्रत्येक त्रयोदशी को किया जाता है, परंतु विशेष कामना के लिए वार संयोगयुक्त प्रदोष का भी बड़ा महत्व है। अत: जो लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर हमेशा परेशान रहते हैं, किसी न किसी बीमारी से ग्रसित होते रहते हैं, उन्हें रवि प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए।
पूजन सामग्री : एक जल से भरा हुआ कलश, एक थाली (आरती के लिए), बेलपत्र, धतूरा, भांग, कपूर, सफेद पुष्प व माला, आंकड़े का फूल, सफेद मिठाई, सफेद चंदन, धूप, दीप, घी, सफेद वस्त्र, आम की लकड़ी, हवन सामग्री।
कैसे करें पूजन : रवि प्रदोष व्रत के दिन व्रतधारी को प्रात:काल नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर शिव जी का पूजन करना चाहिए। प्रदोष वालों को इस पूरे दिन निराहार रहना चाहिए तथा दिनभर मन ही मन शिव का प्रिय मंत्र 'ॐ नम: शिवाय' का जाप करना चाहिए। तत्पश्चात सूर्यास्त के पश्चात पुन: स्नान करके भगवान शिव का षोडषोपचार से पूजन करना चाहिए।
रवि प्रदोष व्रत की पूजा का समय शाम 4.30 से शाम 7.00 बजे के बीच उत्तम रहता है, अत: इस समय पूजा की जानी चाहिए। नैवेद्य में जौ का सत्तू, घी एवं शकर का भोग लगाएं, तत्पश्चात आठों दिशाओं में 8 दीपक रखकर प्रत्येक की स्थापना कर उन्हें 8 बार नमस्कार करें। इसके बाद नंदीश्वर (बछड़े) को जल एवं दूर्वा खिलाकर स्पर्श करें। शिव-पार्वती एवं नंदकेश्वर की प्रार्थना करें।
मंत्र : 'ॐ नम: शिवाय' अथवा शिव का विशेष मंत्र - 'शिवाय नम:' का कम से कम 108 बार जप करें।
प्रदोष व्रत पूजन के शुभ मुहूर्त
रविवार के शुभ मुहूर्त- सुबह 05.22 मिनट से आरंभ होकर 06.54 मिनट पर समाप्त होगा।
सायंकालीन प्रदोष व्रत पूजा का शुभ समय- शाम 05.32 मिनट से आरंभ होकर 06.54 मिनट पर समाप्त होगा।
इस व्रत से मनुष्य की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां दूर होती हैं तथा मनुष्य निरोगी हो जाता है। ज्योतिष अनुसार व्रत को करने से जीवन की अनेक समस्याएं दूर की जा सकती हैं। यह व्रत करने वाले समस्त पापों से मुक्त भी होते हैं।