जीवन के समस्त कष्टों का निवारण करने वाली संकष्टी गणेश चतुर्थी का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है। संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से चन्द्रोदय होने तक उपवास रखने का नियम है। कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश की आराधना सुख-सौभाग्य की दृष्टि से श्रेष्ठ है। आइए, जानें कैसे करें यह व्रत :
कैसे करें संकष्टी गणेश चतुर्थी :-
* चतुर्थी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
* इस दिन व्रतधारी लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
* श्रीगणेश की पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर रखें।
* तत्पश्चात स्वच्छ आसन पर बैठकर भगवान गणेश का पूजन करें।
* फल, फूल, रौली, मौली, अक्षत, पंचामृत आदि से श्रीगणेश को स्नान कराके विधिवत तरीके से पूजा करें।
* गणेश पूजन के दौरान धूप-दीप आदि से श्रीगणेश की आराधना करें।
* श्री गणेश को तिल से बनी वस्तुओं, लड्डू तथा मोदक का भोग लगाएं। 'ॐ सिद्ध बुद्धि सहित महागणपति आपको नमस्कार है। नैवेद्य के रूप में मोदक व ऋतु फल आदि अर्पित है।'
* सायंकाल में व्रतधारी संकष्टी गणेश चतुर्थी की कथा पढ़े अथवा सुनें और सुनाएं।
* चतुर्थी के दिन व्रत-उपवास रख कर चन्द्र दर्शन करके गणेश पूजन करें।
* तत्पश्चात गणेशजी की आरती करें।
* विधिवत तरीके से गणेश पूजा करने के बाद गणेश मंत्र 'ॐ गणेशाय नम:' अथवा 'ॐ गं गणपतये नम: की एक माला (यानी 108 बार गणेश मंत्र का) जाप अवश्य करें।
* इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को दान करें।