Saptadhan: 30 मई 2022 सोमवार को ज्येष्ठ माह की अमावस्या रहेगी। सोमवार को होने के कारण इसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। इस दिन शनि जयंती और वट सावित्री का व्रत भी रखा जाएगा। इस दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए सप्तधान का दान करने का महत्व है।
पिंडदान और तर्पण का महत्व : अमावस्या का दिन पितरों का दिन होता है। इस दिन पिंडदान और तर्पण करने के साथ ही सप्तधान का दान करने से पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं, जिसके चलते जातक के अटे हुए कार्य संपन्न होते हैं और सभी तरह की बाधाएं समाप्त हो जाती है।
सप्तधान्य के नाम : 1. जौ, 2. गेहूं, 3. चावल, 4. तिल, 5. कंगनी, 6. उड़द और 7. मूंग। हालांकि कुछ विद्वान माने हैं कि सप्त धान में जौ, तिल, चावल, मूंग, कंगनी, चना और गेहूं रहता है। सप्तधान में 7 तरह के अनाज लिए जाते हैं। गरुण पुराण में धान, जौ, गेहूँ, मूंग, उड़द, काकुन, सावाँ और चना को सप्तधान्य कहा गया है। यह भी कहते हैं कि सात ग्रहों के सात प्रकार के अनाज होते हैं जिन्हें दान करने से उक्त ग्रहों का दोष दूर होता है। जौ का संबंध बृहस्पति से, सफेद तिल का संबंध शुक्र से, चावल का संबंध चंद्रमा से, मूंग का संबंध बुध से, मसूर का संबंध मंगल से, काले चने का संबंध शनि से और गेहूं का संबंध सूर्य से होता है।
सप्तधान दान के 10 लाभ:
1. इससे सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं।
2. घर में धन और धान्य बना रहता है।
3. सुख-शांति का आशीर्वाद मिलता है।
4. सभी तरह के रोग मिट जाते हैं।
5. यह सभी तरह के पापों का नाश करता है।
6. अनावश्यक भय और चिंता का निवारण होता है।
7. इससे सभी तरह के ग्रह दोषों से मुक्ति मिलत है।
8. इससे पितृदोष का भी निवारण होता है।
9. कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
10. अकाल मृत्यु नहीं होती है।