अमावस्या के दिन चन्द्र नहीं दिखाई देता अर्थात जिसका क्षय और उदय नहीं होता है उसे अमावस्या कहा गया है, तब इसे 'कुहू अमावस्या' भी कहा जाता है। अमावस्या सूर्य और चन्द्र के मिलन का काल है। इस दिन दोनों ही एक ही राशि में रहते हैं। अमावस्या माह में एक बार ही आती है। मतलब यह कि वर्ष में 12 अमावस्याएं होती हैं। शास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है।
हिंदू धर्म में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या का विशेष महत्व है। इस बार यह अमावस्या शनिवार को आ रही है। शनिवार के दिन अमावस्या होने के कारण शनैश्चरी अमावस्या का योग बन रहा है। इस साल यह तिथि 13 मार्च 2021 को पड़ रही है।
1. शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं। मान्यता अनुसार इस दिन व्रत रखने से शनि के दोष दूर हो जाते हैं।
2. मान्यता अनुसार शनि दोष, साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ित जातक यदि इस दिन व्रत रखकर शनि देव की पूजा करते हो तो शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
3. मान्यता अनुसार इस दिन लोग नौकरी संबंधी परेशानी से मुक्ति पाने के लिए उपाय करते हैं।
4. मान्यता अनुसार शनि देव के दुष्प्रभाव से बचने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से शनिदोष खत्म होता है।
5. मान्यता अनुसार शनि दोष से छुटकारा पाने के लिए शमी के वृक्ष की पूजा का भी प्रचलन है। शनिवार के दिन शाम को शमी के पेड़ के पास दीपक जलाने से लाभ मिलता।
फाल्गुन अमावस्या मुहूर्त-
मार्च 12, 2021 को 15:04:32 से अमावस्या आरम्भ
मार्च 13, 2021 को 15:52:49 पर अमावस्या समाप्त