Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

शनिदेव : कष्टों के दाता नहीं कल्याणकारी हैं...

हमें फॉलो करें शनिदेव : कष्टों के दाता नहीं कल्याणकारी हैं...
- चंद्रशेखर नीमा
 
शनैः शनै चलने वाले शनिदेव को यदि हम खगोलीय दूरबीन से देखें तो भगवान शनिदेव को अपलक देखते ही रह जाएं। शनि ग्रह खगोल मंडल के सभी ग्रहों में सबसे सुंदर ग्रह है। जनमानस में शनिदेव के नाम की दहशत व्याप्त रहती है। यहां तक कि ज्योतिष में क, ख न जानने वाले तथा ज्योतिष को ढकोसला बताने वाले व्यक्ति भी शनिदेव के नाम मात्र से कांपने लगते हैं।
 
अधिकांश ज्योतिष व्यक्तियों का सहारा भगवान शनिदेव ही हैं, क्योंकि इनकी साढ़ेसाती, ढय्या, अढय्या या दशा, महादशा के चक्कर में वे किसी भी व्यक्ति को फांस ही लेते हैं। विश्व ज्योतिष में शनिदेव को काल पुरुष का दुःख माना गया है। अर्थात्‌ दुःख, दण्ड के दाता भगवान शनिदेव ही हैं, लेकिन मुक्ति, सत्य, परमार्थ व आत्म उत्थान के पूर्ण प्रदाता भी भगवान शनिदेव ही हैं। जिस प्रकार उनके पिता सूर्यदेव जगत के प्राणों के स्वामी हैं, उसी तरह उनके पुत्र शनिदेव मोक्ष व मुक्ति के प्रदाता हैं।
 
शनिदेव व्यक्ति को माया, मोह, असत्य, इन्द्रियजन्य सुख, विषय-वासना की आसक्ति से हटाकर परमतत्व का ज्ञान कराते हैं। साथ ही अच्छे-बुरे की पहचान भगवान शनिदेव द्वारा ही होती है। स्वार्थ की धुरी पर चलने वाली इस सृष्टि में व्यक्ति को परमात्मा की ओर मोड़ने वाले एक मात्र भगवान शनिदेव ही हैं। भगवान शनिदेव मानव को विभन्न प्रकार की कष्टाग्नि में तपाकर कुंदन बनाते हैं तथा समय के अनुसार चलना सिखाते हैं।
 
शनिदेव का महान कार्य प्रत्येक व्यक्ति को समय की महत्ता की पहचान करवाना है। वे किसी के भी अहंकार को बुरी तरह नष्ट करते हैं, जिससे वह व्यक्ति स्वयं को श्रेष्ठ न मानकर परमात्मा को इस सृष्टि के नियंता व संसार की प्रत्येक गतिविधियों को नियामक मानकर व सुख-दुःख को धूप-छांव समझकर, स्थितप्रज्ञ हो ईश्वरीय कार्य हेतु स्वयं को समर्पित कर मोक्ष के मार्ग पर चल देता है।
 
एक प्रकार से भगवान सूर्यदेव द्वारा सृष्टि के जीवन में संचार व शनिदेव द्वारा मोक्ष प्राप्त होता है। दिन के अधिष्ठता सूर्य तो रात्रि के शनिदेव हैं। राजा सूर्य, तो जनता शनिदेव हैं। एक प्रकार से सूर्य व शनि द्वारा इस सृष्टि को पूर्णतः संतुलन प्राप्त होता है। भगवान सूर्य व्यक्ति को नाम, प्रतिष्ठा दिलाते हैं। वहीं भगवान शनिदेव व्यक्ति को एतिहासिक कभी न भूलने वाली छबि प्रदान करते हैं।

इस प्रकार से दोनों पिता-पुत्र व्यक्ति के जीवन को श्रेष्ठता के साथ सम्पूर्ण करवाते हैं। दोनों विधाता के विधान को प्रारंभ से लेकर अंत तक निभाने की जिम्मेदारी लेकर चलते हैं।


Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

23 मई 2017 : क्या कहती है आपकी राशि