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shani pradosh : शनि प्रदोष की कथा, महत्व और पूजा के शुभ मुहूर्त

हमें फॉलो करें shani pradosh : शनि प्रदोष की कथा, महत्व और पूजा के शुभ मुहूर्त
shani pradosh 2023 
 
shani pradosh 2023 : आज, 1 जुलाई 2023 को शनिवार के दिन शनि प्रदोष का बहुत ही शुभ संयोग बना है। यह दिन भगवान शिव का माना गया है, क्योंकि प्रदोष भगवान शिव का दिन होता है। वर्षभर में हर महीने में दो बार यह व्रत पड़ता है, पहला शुक्ल और दूसरा कृष्ण पक्ष में आता है। 
 
शनि प्रदोष व्रत कथा : शनि प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीनकाल में एक नगर सेठ थे। सेठजी के घर में हर प्रकार की सुख-सुविधाएं थीं लेकिन संतान नहीं होने के कारण सेठ और सेठानी हमेशा दुःखी रहते थे। 
 
काफी सोच-विचार करके सेठजी ने अपना काम नौकरों को सौंप दिया और खुद सेठानी के साथ तीर्थयात्रा पर निकल पड़े। अपने नगर से बाहर निकलने पर उन्हें एक साधु मिले, जो ध्यानमग्न बैठे थे। सेठजी ने सोचा, क्यों न साधु से आशीर्वाद लेकर आगे की यात्रा की जाए। 
 
सेठ और सेठानी साधु के निकट बैठ गए। साधु ने जब आंखें खोलीं तो उन्हें ज्ञात हुआ कि सेठ और सेठानी काफी समय से आशीर्वाद की प्रतीक्षा में बैठे हैं। साधु ने सेठ और सेठानी से कहा कि मैं तुम्हारा दुःख जानता हूं। तुम शनि प्रदोष व्रत करो, इससे तुम्हें संतान सुख प्राप्त होगा। 
 
साधु ने सेठ-सेठानी प्रदोष व्रत की विधि भी बताई और शंकर भगवान की निम्न वंदना बताई। 
 
हे रुद्रदेव शिव नमस्कार। शिवशंकर जगगुरु नमस्कार।।  
हे नीलकंठ सुर नमस्कार। शशि मौलि चन्द्र सुख नमस्कार।।
हे उमाकांत सुधि नमस्कार। उग्रत्व रूप मन नमस्कार।।
ईशान ईश प्रभु नमस्कार। विश्‍वेश्वर प्रभु शिव नमस्कार।।
दोनों साधु से आशीर्वाद लेकर तीर्थयात्रा के लिए आगे चल पड़े। तीर्थयात्रा से लौटने के बाद सेठ और सेठानी ने मिलकर शनि प्रदोष व्रत  किया जिसके प्रभाव से उनके घर एक सुंदर पुत्र का जन्म हुआ।
 
महत्व : प्रदोष व्रत द्वादशी, त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। अगर किसी जातक को भोलेनाथ को प्रसन्न करना हो तो उसे प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। इस व्रत को करने से शिव प्रसन्न होते हैं तथा व्रती को सभी सांसारिक सुख तथा पुत्र प्राप्ति का वर देते हैं। अत: इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ शिव जी की उपासना करें तो सभी कष्‍ट और परेशानियां दूर होकर शनि प्रकोप, साढ़ेसाती/ ढैया का प्रभाव कम हो जाता है।

प्रदोष व्रत में संध्या के समय जब सूर्य अस्त हो रहा होता है एवं रात्रि का आगमन हो रहा होता है यानी प्रदोष काल में आरती एवं पूजा होती है, इस समय को ही प्रदोष काल कहा जाता है। इसके साथ ही इस दिन शनि देव का पूजन करना चाहिए। 
 
शनि प्रदोष व्रत : 1 जुलाई 2023, शनिवार के शुभ मुहूर्त : Shani Pradosh Vrat 2023 Muhurat 
 
आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ- 01 जुलाई 2023 को 01.16 ए एम से, 
त्रयोदशी तिथि का समापन- 01 जुलाई 2023 को 11.07 पी एम पर। 
प्रदोष पूजा मुहूर्त- 1 जुलाई 2023, दिन शनिवार को 07:23 पी एम से 09.24 पी एम तक।
कुल अवधि- 02 घंटे 01 मिनट
दिन का प्रदोष समय- 07.23 पी एम से 09.24 पी एम तक।
 
1 जुलाई 2023, दिन का चौघड़िया
 
शुभ - 07:11 ए एम से 08:56 ए एम
चर - 12:25 पी एम से 02:09 पी एम
लाभ - 02:09 पी एम से 03:54 पी एमवार वेला
अमृत - 03:54 पी एम से 05:39 पी एम
 
रात्रि का चौघड़िया
 
लाभ - 07:23 पी एम से 08:39 पी एम
शुभ - 09:54 पी एम से 11:10 पी एम
अमृत - 11:10 पी एम से 02 जुलाई को 12:25 ए एम
चर - 12:25 ए एम से 02 जुलाई को 01:41 ए एम
लाभ - 04:12 ए एम से 02 जुलाई को 05:27 ए एम तक।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इनसे संबंधित किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

 
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