हिन्दू पंचांग अनुसार किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिए तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण को देखना जरूरी है। इसी से शुभ लग्न और मुहूर्त पता चलता है। वार, तिथि, माह, लग्न और मुहूर्त का एक संपूर्ण विज्ञान है। जो लोग इस हिन्दू विज्ञान अनुसार अपनी जीवनशैली ढाल लेते हैं वे सभी संकटों से बचे रहते हैं, तो आइये जानते हैं कि शुक्रवार का क्या महत्व है और क्या है इसके संबंध में 10 रोचक बातें।
1. शुक्रवार का ग्रह है शुक्र ग्रह। गुरु के बाद सौरमंडल में शुक्र का नंबर आता है। आकाश में शुक्र ग्रह को आसानी से देखा जा सकता है। इसे संध्या और भोर का तारा भी कहते हैं। आकाश में सबसे तेज चमकदार तारा शुक्र ही है।
2. ज्योतिष के अनुसार शुक्र हमारे जीवन में स्त्री, वाहन और धन सुख को प्रभावित करता है। यह एक स्त्री ग्रह है। कहते हैं कि इसके शुभ प्रभाव के कारण जातक ऐश्वर्य को प्राप्त करता है।
3. शुक्रवार की प्रकृति मृदु है। यह दिन एक और जहां लक्ष्मी का दिन है वहीं दूसरी ओर काली का भी। यह दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य का दिन भी है। इस दिन माता लक्ष्मी और काली माता की पूजा करना चाहिए।
4. शीघ्रपतन, प्रमेह रोग के रोगियों को शुक्रवार के दिन उपवास रखना चाहिए, क्योंकि यह दिन ओज, तेजस्विता, शौर्य, सौन्दर्यवर्धक और शुक्रवर्धक होता है। शुक्रवार का व्रत रखने से शुक्र ग्रह बलवान बनता है और धन एवं ऐश्वर्य के रास्ते खुल जाते हैं।
5. शुक्रवार के दिन लाल चंदन लगाएं। पूर्व, उत्तर और ईशान में यात्रा कर सकते हैं। नृत्य, कला, गायन, संगीत आदि रचनात्मक कार्य की शुरुआत की जा सकती है। आभूषण, श्रृंगार, सुगंधित पदार्थ, वस्त्र, वाहन, चांदी आदि के क्रय-विक्रय के लिए उचित दिन। सुखोपभोग के लिए भी यह दिन शुभ होता है।
6. इस दिन खट्टा न खाएं तो आपके साथ अच्छा ही होगा। किसी भी प्रकार से शरीर पर गंदगी न रखें अन्यथा आकस्मिक घटना-दुर्घटना हो सकती है। पिशाची या निशाचरों के कर्म से दूर रहें। नैऋत्य, पश्चिम और दक्षिण में यात्रा न करें।
7. घर की दक्षिण-पूर्व दिशा के दूषित होने से भी शुक्र ग्रह खराब फल देने लगता है। किसी भी कारण से दांत खराब करने से शुक्र अपना अच्छा प्रभाव देना छोड़ देता है। अनैतिक या पराई स्त्री से यौन संबंध बनाने से भी शुक्र बुरे प्रभाव शुरू कर देता है। कुंडली में शुक्र के साथ राहु का होना अर्थात स्त्री तथा दौलत का असर खत्म। यदि शनि मंदा अर्थात नीच का हो तब भी शुक्र का बुरा असर होता है। पत्नी या पति से अनावश्यक कलह होना शुक्र के खराब होने की निशानी है। शारीरिक रूप से गंदे बने रहना, गंदे-फटे कपड़े पहनने से भी शुक्र मंदा हो जाता है। घर की साफ-सफाई को महत्व न देने से भी शुक्र खराब हो जाता है। घर का बेडरूम और किचन खराब होने से भी शुक्र खराब हो जाता है। घर में काले, कत्थई रंगों की अधिकता से भी शुक्र मंदा फल देने लगता है। गृह कलह से भी शुक्र अपना फल मंदा देने लगता और धन-दौलत नष्ट हो जाती है। शनि के मंदे कार्य करने से भी शुक्र अपना अच्छा प्रभाव छोड़कर बर्बाद कर देता है।
8. शुक्र यदि शुभ हो तो गृहस्थ जीवन का सुख मिलता है। यदि शुक्र को बलवान बना लिया तो शरीर पुष्ट और सुंदर हो जाएगा। स्त्री सुख सहज ही मिलने लगेगा। आत्मविश्वास बढ़ जाएगा। भूमि, धन, मकान और वाहन में बढ़ोतरी होगी। शुक्र का बल हो तो ऐसा व्यक्ति ऐशो-आराम में अपना जीवन बिताता है। फिल्म, काव्य, स्त्री और साहित्य में रुचि बढ़ जाती है।
9. कुंडली में शुक्र के दोषपूर्ण या खराब होने की स्थिति में लक्ष्मी की उपासना करें। शुक्रवार का व्रत रखें। खटाई न खाएं। स्त्री का सम्मान करें, पत्नी को खुश रखें। पराई स्त्री से संबंध न रखें। गृह कलह छोड़कर परिवार के सदस्यों के साथ प्यार से रहें। घर को वास्तु अनुसार ठीक रखें। सफेद वस्त्र दान करें। भोजन का कुछ हिस्सा गाय, कौवे और कुत्ते को दें। दो मोती लेकर एक पानी में बहा दें और एक जिंदगीभर अपने पास रखें। स्वयं को और घर को साफ-सुथरा रखें और हमेशा साफ कपड़े पहनें। नित्य नहाएं। शरीर को जरा भी गंदा न रखें। सुगंधित इत्र या सेंट का उपयोग करें। पवित्र बने रहें।
10. शुक्रवार को माता लक्ष्मी के मंदिर में कमल का फूल अर्पित करना चाहिए या माता कालिका के मंदिर जाकर उन्हें काली चुनरी चढ़ाना चाहिए। इससे सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं।