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कुंडली के कौन से योग उड़ा देते हैं नींद, पढ़ें ज्योतिषीय जानकारी..

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पं. हेमन्त रिछारिया

सुखपूर्वक अच्छी व गहरी नींद स्वयं में एक वरदान के सदृश्य होती है। लेकिन ऐसी निद्रा का सुख हर किसी मनुष्य के भाग्य में नहीं होता है।

नींद न आने के कई कारण होते हैं जिनमें जीवन की उलझनों व परेशानियों से लेकर कई चिकित्सकीय कारण भी होते हैं। किंतु कई व्यक्तियों को इन कारणों के इतर भी अनिद्रा की शिकायत रहती है। ज्योतिष शास्त्र में अनिद्रा रोग के योगों का उल्लेख मिलता है।
 
आइए जानते हैं कि वे कौन से योग व ग्रह स्थितियां होती हैं, जो जातक की नींद उड़ा देते हैं अर्थात जिनके जन्म पत्रिका में होने मात्र से जातक अनिद्रा का शिकार होता है।
 
-जन्म पत्रिका के 12वें भाव एवं द्वादशेश से निद्रा व शैया सुख का विचार किया जाता है। यदि जन्म पत्रिका के 12वें भाव में क्रूर ग्रह जैसे शनि, राहु व केतु स्थित हों या द्वादश भाव पर इन ग्रहों का प्रभाव हो एवं 12वें भाव के अधिपति पर भी इन क्रूर ग्रहों का प्रभाव हो तो जातक अनिद्रा रोग का शिकार होता है।
 
-12वें भाव पर राहु के प्रभाव से जातक अल्पनिद्रा वाला होता है।
 
-यदि लग्न पर राहु, केतु व शनि का प्रभाव हो एवं द्वादशेश अशुभ भावों में स्थित हो या नीच राशिस्थ हो तब भी जातक सुखपूर्वक नींद नहीं ले पाता है।
-यदि द्वादशेश द्वादश भाव में स्थित हो एवं उस पर किसी क्रूर ग्रह का प्रभाव न हो तो ऐसी ग्रह स्थिति में जातक सुखपूर्वक अच्छी नींद लेता है।
 
-यदि 12वें भाव का अधिपति स्वराशिस्थ होकर 12वें भाव में स्थित हो और उस पर शुभ ग्रहों का प्रभाव अधिक हो तो जातक अधिक सोने वाला होता है।
 
-ज्योतिर्विद पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र

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