इस बार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रदोष व्रत 24 मई 2021 दिन सोमवार को पड़ रहा है। सोमवार भगवान शिव का दिन है ऐसे में यह प्रदोष व्रत और भी ज्यादा शुभफलदाई माना जा रहा है।
हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में प्रदोष वृत्र रखा जाता है। माह में 2 और वर्ष में 24 प्रदोष होते हैं। तीसरे वर्ष अधिकमास होने से 26 प्रदोष होते हैं। हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष की महिमा अलग-अलग होती है। सोमवार के प्रदोष को सोम प्रदोष, मंगलवार के प्रदोष को भौम प्रदोष और शनिवार का आने वाले प्रदोष को शनि प्रदोष कहते हैं। अन्य वार को आने वाला प्रदोष सभी का महत्व और लाभ अलग अलग है।
सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ:- 24 मई 2021 तड़के 03 बजकर 38 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्त:- 25 मई 2021 रात 12 बजकर 11 मिनट
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त:- शाम 07 बजकर 10 मिनट से रात 09 बजकर 13 मिनट तक.
सोम प्रदोष :
1. सोमवार को त्रयोदशी तिथि आने पर इसे सोम प्रदोष कहते हैं। यह व्रत रखने से इच्छा अनुसार फल प्राप्ति होती है।
2. सोमवार शिवजी का खास दिन है इस दिन उनकी और माता पार्वती की पूजा और आराधना करने से प्रदोष फल दोगुना हो जाता है।
3. जिसका चंद्र खराब असर दे रहा है उनको तो यह प्रदोष जरूर नियम पूर्वक रखना चाहिए जिससे जीवन में शांति बनी रहेगी।
4. अक्सर लोग संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत रखते हैं।
5. रवि प्रदोष, सोम प्रदोष व शनि प्रदोष के व्रत को पूर्ण करने से अतिशीघ्र कार्यसिद्धि होकर अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। सर्वकार्य सिद्धि हेतु शास्त्रों में कहा गया है कि यदि कोई भी 11 अथवा एक वर्ष के समस्त त्रयोदशी के व्रत करता है तो उसकी समस्त मनोकामनाएं अवश्य और शीघ्रता से पूर्ण होती है।
6. प्रदोष रखने से आपका चंद्र ठीक होता है। अर्थात शरीर में चंद्र तत्व में सुधार होता है। माना जाता है कि चंद्र के सुधार होने से शुक्र भी सुधरता है और शुक्र से सुधरने से बुध भी सुधर जाता है। मानसिक बैचेनी खत्म होती है।
7. प्रदोष काल में उपवास में सिर्फ हरे मूंग का सेवन करना चाहिए, क्योंकि हरा मूंग पृथ्वी तत्व है और मंदाग्नि को शांत रखता है। प्रदोष व्रत में केवल एक समय फलाहार करना चाहिए। प्रदोष व्रत में अन्न, नमक, मिर्च आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से उत्तम सेहत प्राप्त होती है।
8. प्रदोष व्रत में प्रातः जल्दी उठकर स्नान करके पूजन के बाद दूध का सेवन करें और फिर पूरे दिन निर्जला व्रत करें। इससे भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
9. प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल यानी संध्या के समय की जाती है। माना जाता है कि प्रदोष व्रत की तिथि के संध्या में भगवान शिव कैलाश पर अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं। विधिवत पूजा करने से सभी तरह के संकट दूर हो जाते हैं।
10. सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न करने लिए रखा जाता है। सोम प्रदोष व्रत को रखने से भक्तों को भगवान शिव और माता पार्वती सौभाग्य और दीर्घायु का आशीर्वाद देते हैं।