मौनी व सोमवती अमावस्या के दिन विष व पितृदोष की शांति का योग
दिनांक 8 फरवरी 2016 दुर्लभ संयोग व योग को लेकर आ रही है। इस बार यह योग लंबे समय बाद पूर्ण सोमवती व मौनी अमावस का एकसाथ योग बन रहा है। ज्योतिष गणना के अनुसार इस बार सोमवती अमावस्या माघ माह के मध्य में पड़ रही है और लंबे समय बाद विशेष अमृत स्वार्थ सिद्धि योग और शुद्धि योग पड़ रहा है।
मौनी अमावस्या को सूर्यदेव तथा मन के स्वामी चन्द्रदेव दोनों एकसाथ मकर राशि में विद्यमान रहेंगे इसलिए मौनी व सोमवती अमावस्या का महत्व अधिक हो गया है।
काल की गणना से ऐसा संयोग लगभग प्रत्येक 60 साल के अंतराल में आता है, परंतु अबकी बार यह संयोग जल्दी बन गया है। चूंकि अमावस्या के दिन चन्द्र के दर्शन नहीं होते हैं, इस कारण मन की स्थिति कमजोर रहती है।
हमारे ऋषि-मुनि मौन व्रत रखकर मन का संयम रखते थे और दान-पुण्य करते थे इसलिए इस दिन मौन व्रत रखने से सहस्र गौ-दान का फल मिलता है। इसके बाद यह योग 12 वर्ष बाद बनेगा।
स्नान, पर्वकाल का समय
इस बार सोमवती अमावस्या का समय 7 फरवरी रात 10 बजकर 20 मिनट से 8 फरवरी रात्रि 8 बजकर 9 मिनट तक रहेगा, जिसमें सबसे शुभ समय अमृत चौघड़िया का माना जाता है, जो सुबह 7 बजकर 9 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक व उसके बाद यह शुभ योग 9 बजकर 52 मिनट से 11 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। दूसरा अमृत योग 2 बजकर 40 मिनट से 9 बजकर 1 मिनट तक रहेगा।
इस दिन पीपल की 108 परिक्रमा करने से सहस्र यज्ञ का फल मिलता है व इस दिन रुद्राभिषेक कर नाग के जोड़े का दान करें व दूध-खीर का पितरों के निमित्त दान करें। इस दिन जिनको विष योग होता है व जिन व्यक्तियों का चन्द्रमा शनि के कारण पीड़ित रहता है, उन्हें 84 महादेव के अंतर्गत 14वें नंबर पर श्री कुटुम्बेश्वर महादेव पर दूध व शहद के साथ रुद्राभिषेक करने से दोष दूर होता है।
पितरों के निमित्त सफेद गाय को चारा खिलाना चाहिए व प्रार्थना करनी चाहिए। जाने-अनजाने में जो अपराध हो, उसके लिए पितरों से क्षमा मांगनी चाहिए। इस दिन की गई पूजा, दान-पुण्य का अक्षय फल प्राप्त होता है।