Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

रामनवमी पर आपने पढ़ा होगा सुंदरकांड, लेकिन क्या आप जानते हैं क्यों कहते हैं इसे सुंदरकांड

हमें फॉलो करें रामनवमी पर आपने पढ़ा होगा सुंदरकांड, लेकिन क्या आप जानते हैं क्यों कहते हैं इसे सुंदरकांड
महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण पर आधारित महाकाव्य रामचरित मानस का पंचम सोपान है सुंदरकांड। सुंदरकांड में रामदूत, पवनपुत्र हनुमान का यशोगान किया गया है  इसलिए सुंदरकांड के नायक श्री हनुमान हैं। अब सवाल यह उठता है कि सुंदरकांड का नाम सुंदरकांड क्यों रखा गया?
 
दरअसल, हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटांचल पर्वत पर बसी हुई थी। त्रिकुटांचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थे। पहला सुबैल पर्वत, जहां के मैदान में युद्ध  हुआ था। दूसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे। तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर  पर्वत, जहां अशोक वाटिका निर्मित थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी। सुंदर पर्वत पर ही सबसे प्रमुख घटना घटित होने के कारण इसका नाम सुंदरकांड  रखा गया।

सुन्दर पर्वत पर ही अशोक वाटिका थी इसी अशोक वाटिका में ही हनुमानजी  और सीताजी का मिलन हुआ था इसीलिए इस काण्ड का नाम सुन्दरकाण्ड रखा गया। कहते हैं कि यहां की घटनाओं में हनुमानजी ने एक विशेष शैली अपनाई थी। 
 
वास्तव में श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती है। सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है, जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का काण्ड है। सुंदरकांड का पाठ सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है। किसी भी प्रकार की परेशानी या संकट हो, सुंदरकांड के पाठ से यह संकट तुरंत ही दूर हो जाता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अंक शास्त्र 2019 : मूलांक से जानिए कैसे बीत रहा है आपका यह वर्ष?