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सुपरमून : आसमान पर चांद की बिंदिया आज ज्यादा चमकेगी....

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कार्तिक पूर्णिमा पर आज अंतरिक्ष का चमकीला चमत्कार, चांद होगा करीब धरती के   
 
चांद यूं तो पूर्णिमा पर अपने पूरे शबाब पर होता है लेकिन इस कार्तिक पूर्णिमा का चांद कुछ ज्यादा खास है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी माना है कि सोमवार, 14 नवंबर को चमकने वाला पूर्ण चंद्रमा यानी सुपरमून पिछले 69 सालों के बाद पृथ्वी के सबसे करीब होगा। नासा ने यह भी कहा है कि पृथ्वी के लोगों को इस तरह की घटना के दीदार के लिए साल 2034 तक इंतजार करना पड़ सकता है। 
पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की कक्षा अंडाकार है, जो दो वस्तुओं के बीच समयानुसार दूरी बनाता है। जब पूर्ण चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होगा तो यह सामान्य से अधिक बड़ा और चमकदार दिखाई देगा और इसीलिए हमने इसे सुपरमून की संज्ञा दी है। नासा के अनुसार, यह सुपरमून सामान्य पूर्ण चंद्रमा से 14 से 30 प्रतिशत अधिक चमकदार हो सकता है। 
 
14 नवंबर को पूरे देश में कार्तिक पूर्णिमा मनाई जाएगी। सुपरमून की वजह से यह कार्तिक पूर्णिमा भी विशेष होगी। 14 नवंबर को पिछले 69 साल का सबसे बड़ा चांद देखा जाएगा। सोमवार को चांद 69 साल में धरती के सबसे करीब होगा, यह आकार में बड़ा होगा, इस दिन चांद की रोशनी 30 फीसदी ज्यादा होगी।
 
2034 में दिखेगा कार्तिक पूर्णिमा पर ‘सुपरमून’
 
जब चंद्रमा धरती के ज्यादा नजदीक होता है और ज्यादा चमकीला दिखता है तो इसको आम बोलचाल की भाषा में ‘सुपरमून’कहा जाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इतना चमकीला चांद 1948 में ही दिखा था, इस तरह का अगला सुपरमून 2034 में देखा जाएगा।
 
पूर्णिमा का चांद
 
दरअसल चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर एक अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाता है इस स्थिति में धरती की कभी पास तो कभी दूर जाता है। इसी के साथ चंद्रमा अपनी धुरी इस तरह से चक्कर लगाता है कि इसका एक स्पिन या घूर्णन तब पूरा होता है जब यह धरती का एक चक्कर लगा लेता है। वैज्ञानिक भाषा में इसको लॉक-इन मोशन कहते हैं। इस तरह की गति की वजह से चंद्रमा की कलाएं होती हैं और यह धरती से देखने पर घटता बढ़ता रहता है, जब पूर्णचंद्र दिखता है तो इसको पूर्णिमा या पूनम का चांद कहते हैं।
 
वैज्ञानिकों के मुताबिक 30 दिन में एक बार पूनम का चांद दिखता है तो एक बार अमावस्या (जब चंद्रमा पूरी तरह से नहीं दिखता है) होती है। जब पूनम का चांद हो और साथ ही इसकी दूरी पृथ्वी से सबसे कम हो, तो ऐसी स्थिति को सुपरमून कहा जाता है। धरती के चारों ओर चक्कर लगाने में चंद्रमा जब से दूर जाता है तो उसको दूरस्थ बिंदु कहते हैं। जब चंद्रमा सबसे करीब होता है तो उसको निकटस्थ बिंदु यानी पेरिग्री कहते हैं। सबसे दूरस्थ बिंदु के मुकाबले निकट बिंदु पर चंद्रमा तकरीबन 14 फीसदी धरती के ज्यादा करीब होता है। इस बार 14 नवंबर को चंद्रमा धरती के सबसे करीब है और साथ ही पूनम का चांद भी है यानी इस दिन चंद्रमा सुपरमून है।
 
रात 11 बजकर 22 मिनट पर होगा सुपरमून
 
खगोल शास्त्रियों के मुताबिक चंद्रमा 14 नवंबर को जब धरती के सबसे करीब होगा तो भारत में दिन के 11 बज कर 22 मिनट हो रहे होंगे। दुनिया में जिन जगहों पर उस समय रात होगी, वहां पर चंद्रमा की चमक एक तिहाई ज्यादा होगी। भारत में जब शाम को चंद्रोदय होगा तब भी इस की चमक आम पूर्णिमा के मुकाबले तकरीबन 30 फीसदी ज्यादा होगी। इसका आकार भी 14 फीसदी ज्यादा होगा, दिल्ली में 14 नवंबर को चंद्रोदय शाम 5 बजकर 37 मिनट पर होगा और चंद्रास्त 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 4 मिनट पर होगा। कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन गुरुपर्व भी है।  

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