शास्त्र मानते हैं कि आदमी कुछ इस तरह का पशु है जिसमें सभी तरह के पशु और पक्षियों की प्रवृत्ति विद्यमान हैं। आदमी ठीक तरह से आदमी जैसा नहीं है। आदमी में मन के ज्यादा सक्रिय होने के कारण ही उसे मनुष्य कहा जाता है, क्योंकि वह अपने मन के अधीन ही रहता है।
आदमी में कुत्ता प्रवृत्ति होती है तो गाय प्रवृति भी। उसमें शेरपन है तो वह गीदड़ की तरह डरपोक भी। वह गिद्ध और कौए की तरह चतुर और झपट्टा मारने की कला भी जानता है तो मुर्गे की तरह जल्दी उठना और उल्लू की तरह रात भर जागते रहना भी जानता है। वह मोर की तरह नाचना और झूमना भी जानता है तो हाथी की तरह शांति से रहना भी। कहना चाहिए कि आदमी सब कुछ है। समझने वाली बात यह है कि किस आदमी में कौन-सी प्रवृत्ति प्रधान रूप से विद्यमान है या कि उसका पूरा जीवन किस तरह के पशु चरित्र में व्यतीत होता है।
आदमी के इसी तरह के मनोविज्ञान के चलते तंत्र विज्ञान और ज्योतिष विज्ञान ने कुछ विभाजन करके उक्त तरह के मनुष्यों के चरित्र को समझकर उनके भूत और भविष्य को उजागर किया है। तंत्र जहाँ बारह से तेरह तरह के व्यक्ति चरित्र मानकर उनके लिए अलग-अलग ध्यान विधियाँ बताता है तो दक्षिण भारतीय ज्योतिष के अंग सामुद्रिक विज्ञान और पंच पक्षी का सिद्धांत प्रसिद्ध है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि चीनी वर्ष के 12 माहों का नाम पशु और पक्षियों के नाम पर ही है।
सामुद्रिक विज्ञान : इस पद्धति या कला को दक्षिण भारत में 'समुथीरिका लक्षणम' कहा जाता है। ज्योतिषी इसी के माध्यम से लोगों के चेहरे पढ़ते हैं और उनका भाग्य बताते हैं। इस विद्या के जानकार दक्षिण भारत और राजस्थान में ही ज्यादातर होते हैं।
हम सैकड़ों लोगों से मिलते हैं और हजारों अनजान चेहरे हमारी आँखों के सामने से गुजरते हैं। इनमें से कुछ सुंदर होते हैं, तो कुछ थोड़े भद्दे। कुछ का आकार गोल होता है तो कुछ त्रिकोण के समान होते हैं। जरा गौर से देखने पर लगता है कि कौन-सा चेहरा किस पशु या पक्षी से मिलता-जुलता है और उनमें उस पशु या पक्षी के गुण होते हैं।
क्या हम किसी शख्स का चेहरा पढ़कर पता लगा सकते हैं कि उसका चरित्र कैसा है, वह कैसा व्यवहार करता है और उसका भविष्य क्या होगा? इस विज्ञान के जानकार लोग कहते हैं कि चेहरा पढ़कर और यह बताया जा सकता है। कभी आईने में देंखे अपना चेहरा और फिर अपनी प्रवृत्तियों पर गौर करें।
पंच पक्षी का सिद्धांत : इस सिद्धांत के अंतर्गत समय को पाँच भागों में बाँटा गया है। समय का विभाजन पक्षी के रूप में किया गया है। जब हम कोई कार्य करते हैं उस समय जिस पक्षी की स्थिति होती है उसी के अनुरूप हमें फल मिलता है। ज्योतिष का यह सिद्धांत पंच पक्षी के नाम से जाना जाता है। कुछ ज्योतिषाचार्य अनुसार आदमी में उक्त तरह की प्रवृति सक्रिय हो जाती है।
पंच पक्षी सिद्धांत के अन्तर्गत आने वाले पाँच पक्षी के नाम हैं गिद्ध, उल्लू, कौआ, मुर्गा और मोर। इन पाँचों पंक्षियों के लिए बराबर समय निर्धारित किया गया है। समय निर्धारण में हरेक पक्षी का काल 2 घंटा 24 मिनट होता है। पूरे दिन में पाँचों पक्षियों का समय बारी-बारी से आता है। रात के समय भी पक्षियों का क्रम इसी प्रकार चलता है। आपके लग्न, नक्षत्र, जन्म स्थान के आधार पर आपका पक्षी ज्ञात किया जाता है।
ज्योतिषाचार्यों अनुसार ग्रहों की गति और चंद्रमा की कला जो सूर्य से इसकी निकटता और दूरी पर निर्भर करती है इनका भूचक्र में मौजूद 12 राशियों एवं 27 नक्षत्रों पर प्रभाव होता है जिनसे हरेक व्यक्ति पर एक ही समय में अलग-अगल प्रभाव पड़ता है। चंद्रमा अपने चक्र में जैसे-जैसे बढ़ता है और घटता है उसमें पाँच प्रकार के अलग-अलग प्रभाव उत्पन्न होते हैं।
जो व्यक्ति इस धरती पर पैदा होता है उस पर सभी नौ ग्रहों का प्रभाव जीवनपर्यंत बना रहता है। इन ग्रहों के गुण और चरित्र का भी हम पर अचेतन रूप से प्रभाव बना रहता है। हम अगर इस तथ्य को समझ लें कि ग्रह-नक्षत्र और राशियों के संयोग से हम पर किस प्रकार का प्रभाव बन रहा है तो हम अपने कार्य में आसानी से सफलता प्राप्त कर सकते हैं। पंच पक्षी का आधारभूत सिद्धांत यही है कि जब सभी प्रभावकारी तत्व अपने उच्चावस्था में होते हैं उस समय अगर हम अपने लक्ष्य की दिशा में बढें तो कामयाबी का सेहरा सर पर होगा।
हालाँकि सामुद्रिक विज्ञान और पंच पक्षी के सिद्धांत के और भी कई विस्तृत पहलू हैं जिन्हें अच्छे से जानकर और पढ़कर जाना जा सकता है कि सच में ही आदमी है एक अजायबघर और कब कौन-सा जानवर उसके भीतर से जागृत होकर हरकत में आ जाए इसका कोई भरोसा नहीं।