Chandra Grahan 2022: 16 मई 2022 सोमवार को वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती के साथ ही साल का पहला चंद्रग्रहण है। आओ जानते हैं कि क्या है इस दिन की 10 खास बातें।
1. चंद्र ग्रहण : वर्ष 2022 का चंद्रग्रहण 16 मई 2022 को वैशाख पूर्णिमा के दिन दिखाई देगा। भारतीय समयानुसार यह प्रात: 08:59 से प्रारंभ होकर 10:23 तक रहेगा। कहीं कहीं पर यह प्रात: 07.02 से शुरू होकर दोपहर 12.20 तक रहेगा। स्थानीय समयानुसार इसके समय में भेद रहेगा।
2. भारत में नहीं दिखाई देगा चंद्र : बताया जा रहा है कि यह चंद्रग्रहण दक्षिणी-पश्चिमी यूरोप, दक्षिणी अमेरिका, पैसिफिक, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, अटलांटिक, अंटार्कटिका, दक्षिणी-पश्चिमी एशिया, हिन्द महासागर में दिखाई देगा। भारत में इस गृहण का सूतककाल मान्य नहीं है क्योंकि यह भारत में नहीं दिखाई देगा।
3. राशि पर असर: ग्रहण और शुभ योग संयोग के चलते मेष, कन्या, मकर, मीन, सिंह, मिथुन राशि के लोगों पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसेगी। धन संबंधी समस्याएं दूर होंगी। रिश्तों में मजबूती आएगी। व्यापार में सफलता मिलेगी। नौकरी में सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे और यदि बेरोजगार हैं तो जॉब मिलेगी अटके कार्य पूर्ण होंगे। मान-सम्मान बढ़ेगा। कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु, वृषभ और कुंभ को सतर्क रहना होगा। हालांकि धनु पर मिलाजुला असर होगा।
4. वैशाख पूर्णिमा : इस दिन वैशाख पूर्णिमा रहेगी। वैशाख पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान, तर्पण और तप करने की विशेष परंपरा होती है। पुराणों के अनुसार वैशाख का यह पक्ष पूजा-उपासना के लिए विशेष महत्वपूर्ण कहा गया है।
5. योग संयोग : बताया जा रहा है कि पूर्ण चंद्रग्रहण 80 साल बाद लगने जा रहा है। इस ग्रहण को ब्लड चंद्रग्रहण कहा जा रहा है जो कि पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार साल का पहला चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि और विशाखा नक्षत्र में लगेगा। इस दिन महालक्ष्मी योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं। राजयोग और धन योग भी बन रहे हैं।
6. विष्णु पूजा : महात्मा बुद्ध विष्णु भगवान के नौवें अवतार हैं, अत: हिन्दुओं में यह पवित्र दिन माना जाता है तथा श्री विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। बुद्ध पूर्णिमा के दिन पूजा-अर्चना, पाठ तथा दान का विशेष महत्व है। पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने घी से भरा हुआ पात्र, तिल और शक्कर स्थापित कर पूजन करना चाहिए। यदि हो सके तो पूजन के समय तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
7. दान पुण्य : इस दिन धर्मराज के निमित्त जल से भरा हुआ कलश, पकवान एवं मिष्ठान वितरित करना, गौ दान के समान फल देने वाला बताया जाता हैं। वैशाखी पूर्णिमा के दिन शक्कर और तिल दान करने से अनजान में हुए पापों का भी क्षय हो जाता है। वैशाखी पूर्णिमा के दिन जल पात्र, सत्तू, मिष्ठान्न, भोजन और वस्त्र दान करने और पितरों का तर्पण करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
8. पितृ तर्पण : पितरों के निमित्त पवित्र नदियों में स्नान कर हाथ में तिल रखकर तर्पण करने से पितरों की तृप्त होते हैं एवं उनका आशीर्वाद मिलता है।
9. मंत्र : वैशाखी पूर्णिमा के दिन पूजा के दौरान 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:' मंत्र का उच्चारण जितना हो सके ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।
10. चंद्रदेव को दें अर्घ्य : इस दिन चंद्रदेव को अर्घ्य देने से सभी तरह की चंद्र पीड़ा से मुक्ति मिलती है।