Marriage life in kundali : यदि आपने विवाह नहीं किया है तो आप जानना चाहेंगे कि कैसा रहेगा आपका वैवाहिक जीवन सुखी या दुखी? यदि आपको विवाह किए नया नया हुआ है तब भी आप यह जान सकते हैं परंतु आपके विवाह को हुए कुछ साल हो गए हैं तो फिर आपको पता ही चल गया होगा कि आपका वैवाहिक जीवन कैसा चल रहा है। जानिए इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी।
ज्योतिष के अनुसार वैवाहिक जीवन के सुखी या दुखी रहने के लिए सप्तम भाव और मांगलिक दोष को जिम्मेदार माना जाता है।
विवाह में बाधा डालने वाले ग्रह:-
लड़की की कुंडली में बृहस्पति कमचोर है और लड़के की कुंडली में शुक्र कमजोर है तो विवाह में देरी होगी।
मंगल और शुक्र की युति से भी विवाह में देरी या बाधा उत्पन्न होती है।
यदि केतु और मंगल का संबंध किसी प्रकार से आपसी युति बना ले तो वैवाहिक जीवन आदर्शहीन होगा।
मंगल दोष : किसी भी व्यक्ति की जन्मकुंडली में मंगल लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में से किसी भी एक भाव में है तो यह 'मांगलिक दोष' कहलाता है।
विवाह में बाधा डालने वाला भाव :
कुंडली का सप्तम भाव, दूसरा और ग्यारहवां भाव यह बताता है कि विवाह जल्दी होगा या देर।
सातवां भाव जीवनसाथी की स्थिति और आपके उसके साथ संबंध को दर्शाता है।
दूसरे और ग्यारहवें से भी विवाह की स्थिति को देखा जाता है।
विवाह का शीघ्र होना या देर से होना यह 7वें घर के स्वामी के गोचर की स्थिति से भी तय होता है।
कुंडली में सप्तम भाव को विवाह का घर माना जाता है। इस भाव में जो घर बैठा हो वैसा वैवाहिक जीवन होने की मान्यता है।
सातवें भाव को पत्नी, ससुराल, प्रेम, भागीदारी और गुप्त व्यापार के लिए भी माना जाता है।
विवाह में विलंब का कारण :
यदि 7वें भाव के स्वामी पापी ग्रहों के साथ हैं अथवा उनकी क्रूर दृष्टि 7वें भाव या 7वें भाव के स्वामी पर पड़ रही है, तो विवाह में देरी होगी।
यदि लग्न में सभी ग्रह मौजूद हैं, अथवा 7वें घर में हैं, अथवा इन घरों पर दृष्टि डालते हैं या एक-दूसरे को देख रहे हैं, तो विवाह तब तक संभव नहीं होगा जब तक कि इन सभी की दृष्टि शुभ नहीं हो जाती हैं।
कब बनेंगे विवाह के योग
कुंडली में लग्न के स्वामी तथा 7वें घर के स्वामी जब कभी इन दोनों भावों के स्वामी एक-साथ 7वें भाव में या विवाह के संबंधित भाव के ऊपर से गोचर करेंगे, तभी विवाह के योग बनेंगे।
शनि ग्रह:-
अगर शनि का सम्बन्ध सप्तम भाव या इसके ग्रह से हो, तो विवाह भंग होता ही है।
शनि के कारण विवाह भंग हो रहा है तो इसके पीछे परिवार के लोग जिम्मेदार माने जाते हैं।
शनि के उपाय करने से यह दोष दूर हो जाता है।
मंगल ग्रह:-
वैवाहिक जीवन में मंगल तलाक के अलावा हिंसा करवाने में पीछे नहीं हटता।
मंगल के कारण विवाह जल्दी भंग होकर मामला कोर्ट कचहरी तक भी पहुंच जाता है।
मंगल के उपाय करके इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
राहु और केतु:-
राहु और केतु का काम वैवाहिक जीवन में बेवजह शक और वहम जैसी बातों का पैदा करना होता है।
राहु केतु के कारण कभी-कभी जीवनसाथी दूसरे को छोड़कर दूर चले जाते हैं और जीवनभर अलगाव झेलना पड़ता है।
गुरु और राहु के उपाय करके इस समस्या से बचा जा सकता है।
सूर्य:-
सूर्य के दुष्प्रभाव सेा जीवनसाथी के करियर में बाधाएं आती हैं तो भी विवाह में खटास पड़ जाती है।
सूर्य दोष के कारण कभी-कभी अहंकार का जन्म होता है जो आपसी सम्बन्ध को खराब कर देता है।
सूर्य दोष के कारण बहुत सोच समझकर शांतिपूर्ण तरीके से विवाह भंग हो जाता है।
सूर्य के कारण कई सालों के बाद विवाह विच्छेद होता है।
सूर्य के उपाय करके इससे बचा जा सकता है।
बृहस्पति:-
कुंडली में यदि बृहस्पति दोष है तो विवाह में बाधा आती है और पितृदोष भी होता है।
कुंडली में यदि बृहस्पति अच्छा हो तो विवाह की सभी बाधाएं समाप्त हो जाती है।
यदि सप्तम भाव के स्वामी पर इसकी दृष्टि हो तो विवाह की बाधा को यह समाप्त कर देता है।
लग्न में बैठा हुआ बृहस्पति सर्वाधिक शक्तिशाली होता है और वह समस्त बाधाओं का नाश कर देता है।
बृहस्पति यदि सप्तम भाव में हो तो हो सकता है कि जातक अविवाहित ही रह जाए।
बृहस्पति के उपाय करने से विवाह की बाधा दूर होती है।
शुक्र ग्रह:-
बिना शुक्र के वैवाहिक जीवन में सुख नहीं मिलता है।
यदि शुक्र छठे या आठवें भाव में कमजोर हो तो वैवाहिक जीवन खराब होता है।
यदि शुक्र पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो या शुक्र खराब हो तो संबंध टूट जाता है।
शुक्र यदि खराब हो तो इसके उपाय जरूर करें।