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वास्तु को सुधारे ये 5 वस्तुएं, जानिए कैसे

हमें फॉलो करें वास्तु को सुधारे ये 5 वस्तुएं, जानिए कैसे
घर बनाते समय बहुत से लोग वास्तुशास्त्र का सहारा नहीं लेते। बाद में जीवन में कठिनाइयां आती है तो फिर ज्योतिष या वास्तुशास्त्र का सहारा लेते हैं। बहुत से तो ऐसे भी लोग हैं जिन्हें यह पता नहीं रहता है कि हमारे जीवन में जो कठिनाइयां आ रही है उसका कारण वास्तु भी है।

कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें कुछ सालों बाद यह बात समझ में आती है और कुछ ऐसे भी लोग हैं जो समझकर भी अनजान बने रहते हैं इसलिए कि वे इस तरह की बातों पर विश्वास नहीं मानते और उन्हें तर्क द्वारा खारिज कर देते हैं। सचमुच तर्क बड़े खतरनाक होते हैं, जो आपकी इंट्यूशन को समाप्त कर देते हैं।
 
यदि आपप मकान बना लिया या खरीद लिया है और बाद में पता चलता है कि उसमें वास्तु दोष हैं तो उन्हें कुछ छोटे से टिप्स से सुधारा जा सकता है। हालांकि अच्छे असर की कोई गारंटी नहीं, लेकिन बुरे असर की रोकथाम जरूर हो जाएगी।
 
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शौचालय और बाथरूम : यदि आपके शौचालय और बाथरूम इकट्टे हैं तो समझों की आपने चंद्र और राहू को एक साथ बैठा लिया है। राहू का स्थान शौचालय तो चंद्र का स्थान बाथरूम में होता है। दोनों को निश्चित दूरी पर होना चाहिए अन्यथा इसका बुरा असर होता है।
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अब यदि गलती से आपका शौचालय ईशान कोण में बन गया है तो फिर यह बहुत ही धनहानि और अशांति का कारण बन जाता है। प्राथमिक उपचार के तौर पर उसके बाहर शिकार करते हुए शेर का चित्र लगा दें। साथ ही शोचालय पूर्णत: साफ रखें। शौचायल के बाहर आदमकद शीशा भी लगा सकते हैं।
 
 
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रसोईघर में : 1.यदि आपका रसोईघर अग्निकोण में न होते हुए किसी ओर दिशा में बना है तो वहां पर यज्ञ करते हुए ऋषियों की चित्राकृति लगाएं। इससे वहां का वास्तु दोष मिट जाएगा और धन के मार्ग में रुकावट नहीं आएगी। साथ ही संकटों का यह प्राथमिक उपचार होगा। 
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2.जिस घर में रसोईघर दक्षिण-पूर्व यानी आग्नेय कोण में नहीं हो तब वास्तु दोष को दूर करने के लिए रसोई के उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में सिंदूरी गणेशजी की तस्वीर लगानी चाहिए।
 
3.रसोई घर के अंदर गैस चुल्हे को आग्नेय कोण में रख दें और ईशान कोण में पानी भरकर रखें। बस थोड़ी सी हेरे फेरी करके इसे ठीक कर सकते हैं।
 
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शयन कक्ष : यदि बेडरूम घर की दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम दिशा में होगा तो पति-पत्नी के लिए काफी फायदेमंद रहेगा। इस बात का ध्यान रखें कि उत्तर-पूर्व दिशा देवी-देवताओं का स्थान होती है। अत: इस दिशा में बेडरूम शुभ फल प्रदान नहीं करता है। ऐसे कमरे में सोने से धन की कमी होती है और कार्यों में असफल होने की संभावनाएं बढ़ती हैं। ईशान कोण, आग्नेय कोण और वायव्य कोण में शयन कक्ष नहीं होना चाहिए। वायव्य कोण में शयन कक्ष हो तो कोई खास असर नहीं लेकिन आग्नेय कोण में खराब असर ही होता है।
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यदि शयन कक्ष आग्नेय में बना है तो वहां सोने से कभी नींद अच्छे से नहीं आती। इस दिशा में शयनकक्ष होने से स्वास्थ्य खराब होता है और स्त्रियों को उदर संबंधी समस्याएं होती हैं, पुरुष तनावयुक्त रहते हैं और लड़कियों को भी गंभीर समस्याएं उत्पन्न होती हैं तथा पति-पत्नी में निरन्तर झगड़े होते रहते हैं, इस प्रकार आग्नेय में शयनकक्ष होने पर पूरे परिवार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, अतः इस स्थिति से बचना ही उचित होगा। इसके लिए कमरे उत्तर की दीवार से सटाकर पलंग लगाएं और पूर्व में सिर करके सोएं। जिन लोगों का बेडरूम गलत दिशा में है वे कमरे में हंसों के जोड़े का फोटो लगाएं।
 
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घर का द्वार : सकारात्मक दिशा के द्वार गृहस्वामी को संपदा, ऐश्वर्य, पारिवारिक सुख एवं वैभव प्रदान करते हैं जबकि नकारात्मक मुख्य द्वार जीवन में अनेक समस्याओं को उत्पन्न कर सकते हैं। वास्तुशास्त्र में दक्षिण दिशा का द्वार शुभ नहीं माना जाता है। इसे संकट का द्वारा भी कहा जाता है।
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प्राथमिक उपचार के तौर पर द्वार के ठीक सामने एक आदमकद दर्पण इस प्रकार लगाएं जिससे घर में प्रवेश करने वाले व्यक्ति का पूरा प्रतिबिंब दर्पण में बने।  इससे किसी भी प्रकार से घर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक उर्जा पलटकर वापस चली जाती है।

दक्षिण दिशा के द्वार के बाहर की दीवार का रंग भी गहरा होना चाहिए। हो सके तो दीवारों पर फोम लगाकर रखें जिससे दीवारें धूप के कारण गर्म न हो। इस तरह दरवाजे को भी धूप से बचाकर रखें। निश्चित करें कि घर में द्वार से धूप कर प्रवेश न हों।  
 
द्वार के ठीक सामने आशीर्वाद मुद्रा में हनुमान जी की मूर्ति अथवा तस्वीर लगाने से भी दक्षिण दिशा की ओर मुख्य द्वार का वास्तुदोष दूर होता है। मुख्य द्वार के ऊपर पंचधातु का पिरामिड लगवाने से भी वास्तुदोष समाप्त होता।

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तिजोरी: घर में तिजोरी या अलमारी जिसमें आप धन या सोना रखते हैं। उसका स्थान दक्षिण की दीवार से लगा होता है जिससे तिजोरी का दरवाजा उत्तर की ओर खुलता है। तिजोरी को दक्षिण की दीवार से सटाकर ही रखें। लोहा और सोना अर्थात सूर्य और शनि एक साथ नहीं बैठना हानिकारक होता है। अत: तिजोरी के अंदर एक लाल कपड़में से सोना रखें। सोना लोहे से टच न हो ऐसा इंतजाम करें। छोटे से लकड़ी के पाट पर भी रख सकते हैं।
 
तिजोरी को किसी धातु पर न रखकर समतल भूमि पर रखें। यदि तिजोरी के हिलने की समस्या हैं तो इसके लिए तिजोरी के नीचे किसी पत्थर को न लगाएं। बल्कि इसके स्थान पर किसी छोटे से लकड़ी के टुकड़े का प्रयोग करें। उपरोक्त उपायों से आपके घर में कभी पैसे की हानि नहीं होगी।

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